किडनी रोग एवं आयुर्वेदिक चिकित्सा
किडनी खराब होने की शिकायतें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं । चिकित्सा जगत में क्रॉनिक किडनी डिजीज का शाब्दिक अर्थ किडनी का फेल होना । एक अध्ययन के अनुसार देश में औसतन 14 फ़ीसदी महिलाएं और 12 फ़ीसदी पुरुष किडनी की समस्याओं से पीड़ित हैं।
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Kidney Disease |
समय रहते वक्त लोगों की पहचान होने पर रोगी को डायलिसिस एवं किडनी प्रत्यारोपण से बचाया जा सकता है। इसके उपचार समय से पूर्व ही मृत्यु दर आदि के लिए उत्तरदाई हैं ।
विभिन्न देशों में गुर्दे की असाध्य बीमारी की अवस्था 3 से 5 का प्रसार दर पांच से 7% है जिसमें कि मुख्यतः 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग प्रभावित होते हैं।
किडनी के कार्य:-
- शरीर में रक्त संचार का नियंत्रण करता है।
- शरीर में अपशिष्ट पदार्थों जैसे यूरिया, यूरिक, एसिड आदि का मूत्र के साथ निष्कासन करना।
- विटामिन बी को सक्रिय कर शरीर में कैल्शियम का अवशोषण करना।
- भोजन से जरूरी मिनरल्स को सोखती है।
क्या है क्रॉनिक किडनी डिजीज ?
किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। किडनी में किसी भी प्रकार की क्षति या किडनी का G.F.R. (Glomerular Filtration Rate ) में कमी हो तो इसे क्रॉनिक किडनी डिजीज कहा जाता है।
इस रोग में किडनी की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
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Kidney Disease |
किडनी के रोग के लक्षण
- पेशाब कम।
- पीठ में दर्द ज्यादा थकान पेशाब में खून आना या झाग आना ।
- भूख कम लगना, चिड़चिड़ापन, कम उम्र में हाई ब्लड प्रेशर।
- एकाग्रता में कमी, एनीमिया, कमजोरी।
- त्वचा में चकत्ते पड़ना तथा शरीर में खुजली होना।
- भूख कम लगना, जी मिचलाना, उल्टी आना तथा दस्त लगना।
- हड्डियों एवं पसलियों में पीड़ा तथा हड्डियों का कमजोर होना।
किडनी के रोग के कारण और परहेज
पानी की कमी:-
सही मात्रा में पानी नहीं पीना, किडनी रोगों का मुख्य कारण है। किडनी का सबसे जरूरी काम में रक्त को फिल्टर करके उसमें से वेस्ट मटेरियल और विषाक्त पदार्थों को पेशाब के रास्ते बाहर निकालना है। पानी की कमी से विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर नहीं निकल पाते जिसके फलस्वरूप शरीर में विषाक्त बढ़ जाती हैं।
सोडियम की अधिक मात्रा:-
शरीर के लिए सोडियम अत्यंत आवश्यक तत्व है, किंतु इसका प्रयोग एक निश्चित मात्रा तक ही करना चाहिए। बहुत से लोग भोजन में नमक अधिक मात्रा में लेते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 1 दिन में कुल मिलाकर 5 ग्राम से अधिक नमक का सेवन शरीर के लिए हानिकारक है। पेशाब को रोककर न रखें:-
हम कई बार अपने कामकाज में व्यस्तता के चलते पेशाब करना टालते रहते हैं। बार-बार पेशाब रोकने से मूत्र संस्थान पर अतिरिक्त भार पड़ने लगता है, जिससे किडनी में पथरी होने से लेकर किडनी फेल तक की संभावना बढ़ जाती है। मांसाहार:-
प्रोटीन, विशेष रूप से मांस का अधिक सेवन किडनी मेटाबोलिक बनने लगता है।
कम सोना:-
लंबे समय तक कम सोने की आदत से भी किडनी से जुड़े रोग होते हैं।यह भी पढ़े 👇
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किडनी के लिए पथ्य आहार:-
आहार:- कुलथी की दाल किडनी स्टोन गलाने में बहुत कारगर हैं।सब्जियां:- सब्जियों में सहजन परवल , लोकी, पपीता, टिंडा, गाजर, तोरी, करेला, शिमला मिर्च, आलू, मूली, बथुआ, नींबू, अदरक, पालक, फूल गोभी, पत्ता गोभी अति लाभकारी है।
फल:- सेब, पपीता, अंगूर, जामुन, ककड़ी, खीरा, गाजर, तरबूज, नारियल, अनानास आदि फल का सेवन अति लाभकारी है।
मसाले:- मसाले और जड़ी बूटियों में दालचीनी, पान, कुट्टू अनाज, तुलसी, गोखरू, बड़ी इलायची, काला जीरा, लहसुन, अजवाइन का सेवन अति लाभकारी है।
नियमित व्यायाम वे जोगिंग करें अपने वजन को नियंत्रण में रखें मधुमेह उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखें।
प्राणायाम अनुलोम विलोम करें।
किडनी के लिए अपथ्य आहार:-
आहार:- नमक का कम प्रयोग, मसालेदार भोजन, मांस- मछली, चना, उड़द, नमक, मदिरा आदि हानिकारक है। धूम्रपान व जंक फूड का सेवन न करें।
रेडीमेड सूप, मैदे से बनी चीजें जैसे- ब्रेड, बिस्किट, कोल्ड -ड्रिंक्स ,ब्राउन राइस, चिकनाई युक्त भोजन, दूध से बनी चीजें जैसे- दही, पनीर आदि । अचार, टमाटर, खरबूज। फलों में केला, संतरा, किशमिश का सेवन ना करे।
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आयुर्वेदिक उपचार---
- 200 ग्राम वृक्कदोषहर क्वाथ ,100 ग्राम सर्वकल्प क्वाथ , 50 ग्राम नीम छाल तथा 50 ग्राम पीपल का छाल का काढ़ा बनाकर 100ml सुबह-शाम सेवन करें।
- एक गोली वृक्कदोषहर वटी तथा गोक्षुरादि गूगल दिन में तीन बार ले।
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