यकृत लिवर रोग कारण व निवारण
लीवर को जिगर या यकृत भी कहा जाता है। लीवर शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंक है, इसकी खराबी का असर संपूर्ण शरीर पर पड़ता है ।आधुनिक जीवनशैली ने शराब को रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तु बना दिया है, लोगों की रुचि घर में खाने की जगह बाजार में जंक - फूड की ओर बढ़ती जा रही है ।
शराब और जंक फूड के इस मेल ने लीवर को बेहाल कर दिया है । यह दोनों ही अधिक मात्रा में चर्बी को लीवर पर जमा करते हैं , जिससे लीवर रोग का घर बन जाता है। इन दोनों का सेवन बंद कर लीवर के रोगों से दूर रहा जा सकता है । यूं कहा जाए तो शरीर के प्रत्येक अंग का अपना अपना कार्य है किंतु अन्य अंगों की तुलना में लीवर के कार्य बहुत ही विस्तृत है।
चिकित्सा विज्ञान ने भी इसके रोगों की अधिकता को देखते हुए एक अलग शाखा 'हीपैटोलॉजी' बनाई है।
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Liver diseases |
रोग के लक्षण
लीवर की लगभग सभी बीमारियों के लक्षण एक जैसे ही होते हैं पेट में दर्द व सूजन हो जाती है। पेशाब का रंग गहरा सुर्ख लाल या पीला हो जाता है। त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है और आंखें पीली पड़ जाती है । पाचन क्रिया गड़बड़ा जाती है , वैसे लीवर की अपनी प्रतिरोधक क्षमता बेजोड़ है, और मात्रा खान पान के बारे में सही जानकारी रखने व खाद्यो के सही चयन से भी लीवर शीघ्र सुधर जाता है।
जब भी खाना ना पचे जी मिचलाए, कमजोरी लगे , बुखार बना रहे आंख में त्वचा में से किसी का रंग पीला लगे तो लिवर की जांच कराएं।
लीवर के आहार
लीवर की सेहत के लिए बथुआ, हरी सब्जियां, गाय या बकरी का दूध, पपीता , अनार , अंजीर, किशमिश, मुनक्का , गन्ने का रस, मूली का रस , पनीर आदि लें।
लीवर बढ़ जाने पर
लीवर पसलियों के नीचे होता है। पसलियां उसे बाहरी चोटों से बचाती है । अगर लीवर बढ़ जाए तो वह पसलियों को नीचे की ओर बढ़ जाता है, इससे पेट का भाग बढ़ा हुआ लगता है । जोकि देखने पर या हाथ लगाने पर लीवर बढ़ने का पता चल जाता है।
लीवर बढ़ने के कारण
कई तरह के वायरस या वायरस की बीमारियां जैसे मलेरिया, सिफलिस, टाइफाइड, पीलिया, टी.वी. , निमोनिया से लीवर का आकार बढ़ जाता है।
लीवर के बढ़ने पर हानि
लीवर के बढ़ने की अवस्था में पेट सूज जाता है। खाना हजम नहीं होता है। कमजोरी आ जाती है। रंग पीला पड़ जाता है। धीरे-धीरे लीवर के सेल खराब हो जाते हैं , और लीवर बढ़ने के बाद सिकुड़ना शुरू हो जाता है, और आकार भी घट जाता है, पेट में पानी भर जाता है, लीवर में मवाद भर जाती है तथा धीरे-धीरे पेट में टीवी या कैंसर की शिकायत हो जाती है।लीवर की सूजन
लीवर की सूजन में लीवर को हाथ लगाने से ही दर्द शुरू हो जाता है । इससे पीलिया हो जाता है , भूख कम लगती है, बुखार भी हो जाता है, तिल्ली भी बढ़ जाती है , शरीर पर खारिश होती है, रोगी अस्वस्थ वह कमजोर हो जाता है।फैटी लीवर
इस रोग में चिकनाई बढ़ जाती है जिससे लीवर की ऊपरी वाली सतह नर्म व पतली हो जाती है यह बीमारी आमतौर पर मोटे व्यक्ति या शुगर के मरीजों में अधिक होती हैं। रोजाना शराब का सेवन करने से लीवर बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है और रोगी को भूख कम लगती है।
प्रोटीन और बाल यकृत वृद्धि
6 माह से 2 वर्ष तक की आयु वाले बच्चे का यकृत कभी आकार में बड़ा तथा कठोर हो जाता है उसे ही बाल यकृत वृद्धि कहा जाता है।कारण
दूध पीने वाले बच्चों को मां का दूध कम और भैंस का दूध अधिक पीने को मिलता है , तो ऐसे में बाल यकृत वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है । क्योंकि यह दूध पानी मिलाकर हल्का करके शक्कर मिलाकर पिलाया जाता है , इससे बच्चे के आहार में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और कार्बोहाइड्रेट इस फैट की मात्रा बढ़ जाती है , जिससे उसके यकृत के सैलों में फैट अधिक मात्रा में जमा हो जाता है। इसी प्रकार जिन बच्चों को छह माह की आयु हो जाने पर शीघ्र ही मीठा , मसाले, आदि अधिक मात्रा में दिए जाते हैं उनसे यकृत के अंदर फैट का संचय अधिक होने लगता है।
रोग से बचाव के उपाय
अगर गर्भ अवस्था में माता को यकृत रक्षक अमीनो एसिड तथा विटामिन 'बी' दिया जाए और शिशु को माता के दूध पर ही पाला जाए तो यकृत वृद्धि रोग नहीं होता है। अगर मां को दूध कम उतरता हो तो गाया , बकरी का दूध बिना शक्कर के बच्चों को खिलाना चाहिए।
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