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योगाभ्यास के लिए सावधानियां व नियम || Precautions and rules for yoga practice.


योगाभ्यास के लिए  सावधानियां व नियम


       योगाभ्यास शुरू करने से पहले साधकों को काफी नियम तथा सावधानियों पर ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक साधक को निम्नलिखित बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।


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Rules of Yoga


 जैसे हम किसी मकान का निर्माण करते हैं तो उसकी नींव पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। उसको मजबूत बनाते हैं ताकि उस पर खड़ी इमारत ज्यादा स्थाई बने वैसे ही अभी हम योग किया करते हैं तो हमें इसके लिए योग के नियम तथा सावधानियों को जीवन में उतारना पड़ेगा जो हमारे जीवन में होने वाली कई प्रकार की कठिनाइयों को हल करते हैं ।

  • ‌ किसी योग इन सब की देखरेख नहीं योगासन तथा योग की क्रियाओं को करना चाहिए।
  • ‌ योगाभ्यास क्रम और क्रियात्मक रूप से करें जो ज्यादा लाभान्वित होंगे।
  • योगासन की सभी क्रियाएं करते समय संपूर्ण ध्यान अभ्यास पर ही होना चाहिए।
  • ‌ योग न तो किसी की देखा देखी से करें और ना ही किसी को दिखाने का प्रयास करें।
  • ‌योगाभ्यास के जो समय सीमा और गति तय है । उसी अनुपात में करें अन्यथा हानि की भी संभावना है।
  • ‌यम नियम के पालन पर विशेष ध्यान दें।
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Yoga Practice


  • ‌कौन सा योगासन आपको करना है कौन सा नहीं करना इसका निर्णय #yogasantips.in ब्लॉग के अध्ययन के बाद ही ले तथा योग गुरु के सामने हीं करें।
  • ‌किसी भी आसन को एकदम से नहीं करना चाहिए। पहले हल्के व्यायाम करें सूक्ष्म आसन करें । पवनमुक्तासन से संबंधित आसनों को भी करें । ताकि शरीर का कड़ापन समाप्त हो जाए और शरीर नरम बने तथा मांसपेशियों में लचीलापन आए प्राणायाम एवं ध्यान का क्रम उपयुक्त रहता है।
  • ‌ किसी भी आसन को जबरदस्ती या बलपूर्वक ना करें। अभ्यास से आसन सरल हो जाता है। इसलिए किसी भी कठिन आसन को करने से पहले उसका धीरे-धीरे अभ्यास करें।
  • ‌ किसी भी योगाभ्यास को करते समय स्वास -प्रश्वास का अवश्य ध्यान रखें।

श्वास -प्रश्वास -‌ 


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Yoga


  • किसी भी योगाभ्यास को करते समय स्वास्थ्य के प्रति सजगता बनाए रखें।
  • ‌श्वास  नासिका द्वारा ही लें।
  • ‌ सभी आसन का अपना एक श्वास -प्रश्वास  का क्रम होता है। उसका अवश्य ध्यान रखें।


आहार--

  • ‌शरीर को फुर्तीला, चूस्त और सुंदर बनाने के लिए जितना महत्व हम योगासन को देते हैं उतना ही महत्व हमें आहार को भी देना चाहिए।
  • ‌ ज्यादा खट्टा, तीखा, तामसी  एवं देर से पचने वाला आहार नहीं लेना चाहिए।
  • ‌ हमारा भोजन सात्विक, शाकाहारी, शुद्ध, ताजा होना चाहिए।
  • ‌ आसन करने से कुछ समय पहले एक गिलास ठंडा एवं ताजा पानी पी सकते हैं।
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पौष्टिक आहार


  • ‌ साधक को शराब, भांग, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • ‌ अगर साधक को किसी प्रकार की बीमारी है तो आसन एवं आहार की जानकारी किसी विशेषज्ञ से ले।
  • ‌भोजन करने के आधे घंटे पहले एवं भोजन करने के कम से कम 4 या 5 घंटे बाद ही योगाभ्यास करें।
  • ‌तामसिक भोजन जैसे अंडा, मछली, मांस आदि का त्याग कर देना चाहिए । क्योंकि जैसा खाओगे अन्न, वेसा बनेगा मन।


स्नान--


  • ‌ आसन से पहले व आसन के कुछ समय बाद स्वच्छ एवं शीतल जल से स्नान करें ।


वस्त्र--


  • ‌ आसन करते समय चुस्त कपड़े ना पहने ढीले, आरामदायक सूती एवं सुविधाजनक वस्त्रों का ही प्रयोग करें।
  • ‌ आसन के लिए कंबल या दरी तथा योग मैट का प्रयोग करें।
  • ‌ पुरुष साधकों को कच्छा या लंगोट अवश्य पहनना चाहिए।


समय--



  • ‌ योगासनों का अभ्यास प्रातः सूर्योदय के समय करना चाहिए तथा यह अच्छा भी माना जाता है।
  • ‌ प्रातकाल सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा हमें नई ताकत देती हैं वह ऊर्जा जीवन को संचार प्रदान करने वाली होती हैं।
  • प्रातकाल योग करने का कारण व्यक्ति का तनाव मुक्त रहना भी है।
  • ‌ प्रत्येक आसन की समय सीमा अपने शरीर की परिस्थिति को देखकर कि करें।
  • ‌ प्रातकाल व्यक्ति के पास समय का अभाव भी नहीं होता।
  • ‌ प्रातकाल योगाभ्यास करने से व्यक्ति दिनभर तरोताजा और स्फूर्ति महसूस करता है।
  • ‌ योगाभ्यास निश्चित समय और निश्चित स्थान पर  अधिक प्रभावशाली हो जाता है।


स्थान--


  • ‌अभ्यास के लिए स्थान साफ-सुथरा, हवादार, शांत वातावरण, एवं मन को प्रसन्न करने वाला स्वस्थ एवं वायु प्रदूषण मुक्त वातावरण होना चाहिए।
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  • ‌ योगाभ्यास करने का स्थान समतल होना चाहिए।
  • ‌ योगाभ्यास अगर बंद कमरे में कर रहे हैं तो कमरे के खिड़की तथा दरवाजे अवश्य खोलें।


दिशा--


  • ‌लेट कर किए जाने वाले आसनों में पैरों की दिशा उत्तर या पूर्व होनी चाहिए।
  • ‌ खड़े होकर किए जाने वाले आसन में मुंह पूर्व की तरफ हो तो विशेष लाभ प्रदान होता है।
  • ‌प्रार्थना करते समय उत्तर पूर्व दिशा का चयन करें तो अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है।



दृष्टि--


  • ‌प्रारंभ में नेत्र बंद ना करें अभ्यास हो जाने के बाद ही नेत्रों को बंद करें परंतु मन को निष्क्रिय और चंचल न होने दें।
  • ‌नेत्र बन्द (योग शिक्षक के आदेशानुसार) रहते हुए भी आसन क्रियाओं के प्रति मस्तिक को सजग रखें।


आवस्था तथा आयु--


  • ‌योगासन के लिए आयु सीमा का कोई निर्धारण नहीं है। व्यक्ति को अपनी उम्र, अवस्था, अभ्यास आदि समझकर विवेक का उपयोग करना चाहिए।



रोगी के लिए--


  • ‌योगासन से संबंधित क्रियाएं तो होती ही है रोग को दूर एवं स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए । परंतु रोगी उस आसन को न करें जिससे उसकी पीड़ा अथवा रोग की तीव्रता भर्ती हो। जैसे - उच्च रक्तचाप के रोगी शीर्षासन या सर्वांगासन आदि न करें।
  • किस रोग में कौन सा आसन करें अथवा कौन सा आसन न करें। रोग की अवस्था में किसी योग शिक्षक के परामर्श के पश्चात ही आसन करें।


ध्यान--


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Meditation


  • ‌वह रोग जिसके लिए आप योग क्रियाएं कर रहे हैं। अभ्यास करते समय उसका सकारात्मक चिंतन करें कि वह रोग ठीक हो रहा है।
  • ‌अभ्यास काल में मन को चिंता, क्रोध, घबराहट, अहंकार, प्रतिशोध, की भावना आदि से पूर्णता मुक्त रहें।


योग अभ्यास के दौरान विशेष ध्यान रखने वाली बातें--

  • ‌योगी किस जाएं विवेक का उपयोग करते हुए ही करें।
  • ‌पूर्ण विश्वास धैर्य और सकारात्मक विचार के साथ ही योग करें।
  • ‌ नशीले पदार्थों का सेवन एवं गंदी मानसिकता ने रखें।
  • ‌ यदि किसी आसन के अभ्यास के दौरान परेशानी का अनुभव हो रहा हो तो योग गुरु से सलाह जरूर लें।
  • ‌गरिष्ठ भोजन, मांसाहार, अत्यधिक वासना एवं देर रात तक जागने जैसी आदतों का त्याग करें। 


        योग करने वाले साधकों को सभी सावधानियां एवं नियमों का पालन करना चाहिए।
       अन्यथा शरीर में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो सकते हैं जैसे हड्डी का खिसकना, जोड़ों में दर्द का बढ़ना, हृदय गति का कम हो जाना, दस्त लगना मांसपेशियों में दर्द होना, थकान महसूस करना आदि साथ ही कई प्रकार की शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक हानि होने की संभावना भी रहती हैं।


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