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योगासनों के लाभ के वैज्ञानिक कारण || Scientific reasons for the benefits of yoga.


योगासनों के लाभ के वैज्ञानिक कारण

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Scientific reasons for the benefits of yoga.


यौगिक सूक्ष्म व्यायाम योगिक स्थूल व्यायाम पवनमुक्तासन समूह वायु निरोधक एवं शक्ति बंद की क्रियाओं से लाभ-


        सुबह के समय शरीर में कड़ापन होता है। कठिन अभ्यास के लिए शरीर एकदम से तैयार नहीं रहता । अतः हल्के व्यायाम करने से अंगों में  लचीलापन आ जाता है। हल्के व्यायाम से हमारे पूरे शरीर के जोड़ खुल जाते हैं। रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में होने लगता है और आगे के योगासनों के अभ्यास में कोई समस्या नहीं होती है

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सूक्ष्म व्यायाम


        पूरे शरीर में तीव्रता आ जाती है। शरीर हल्का हो जाता है। शरीर में स्फूर्ति आ जाती है  पूरे शरीर को एक प्रकार की नई ताजगी चेतना प्राप्त होती है। मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह तीव्र होने से उसे क्रियाशील बनाता है।

        इसी प्रकार हमारे पैर के अंगूठे से लेकर टखना, पिंडली, घुटना, जंघा, नितंब, उपस्थ, कमर और पीठ, मेरुदंड, फेफड़े,  हाथ की उंगलियां, कोनी, स्कंध, ग्रीवा, आंख, सिर, पाचन तंत्र के अंग आदि सभी भाग क्रियाशील हो जाते हैं। और उनके विकार दूर होकर हमें निरोगी काया प्रदान करते हैं।

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 पद्मासन एवं ध्यान से संबंधित आसनों के लाभ--

        पद्मासन एवं इससे संबंधित आसनों को करने से हमारे कुंडलिनी चक्र की उर्जा उधर मुखी होती हैं। अतः मूलाधार चक्र से लेकर सहस्रार चक्र की ऊर्जा को हम आत्मसात कर उसने होने वाली सभी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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पदमासन


        पद्मासन में बैठने से हमारा मेरुदन स्थिरता को प्राप्त करता है अतः बुढ़ापे में झुकने की समस्या नहीं होती। पद्मासन में बैठने से ध्यान और धारणाओं के द्वारा हम अपने स्मरण शक्ति को तेज करते हैं।

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वज्रासन से संबंधित आसनों के लाभ--

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वज्रासन


        जब हम वज्रासन में बैठते हैं तो यह हमारे प्रदेश, प्रजनन अंग और पाचन तंत्र के अंगों में रक्त संचार को सुचारू कर उन्हें सुदृढ़ बनाता है। प्रजनन अंग के कई अन्य रोगों को लाभ प्रदान करता है।



खड़े होकर किए जाने वाले आसनों के लाभ--


       इस प्रकार के आसनों से पिंडली तथा जंघाओं की मांसपेशियों में मजबूती आती है। जिस कारण उनमें होने वाले रोग जैसे गठिया, पिंडलियों का दर्द, घुटनों की समस्या आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।

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ताड़ासन


      खड़े होकर करने वाले आसनों से पीठ की मांसपेशियों में भी खिंचाव आता है, जिससे वे व्यवस्थित होती हैं।


पीछे की ओर झुककर किए जाने वाले आसनों के लाभ--


       पीछे की और झुककर किए जाने वाले आसनों से हमारे फेफड़े, फुफ्फूस फैलते हैं । जिस कारण वे ऑक्सीजन की अधिक मात्रा संग्रहित कर हमारे शरीर को नवयोवन प्रदान करते हैं ।

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योगाभ्यास


         पीछे झुकने से उधर प्रदेश की मांसपेशी तनती है। जिस कारण पाचन तंत्र पुष्ट होता है। पीछे झुकने से हमारे मेरुदंड की तंत्रिकाएं पुष्ट होती है। पूरा शरीर इन से जुड़ा हुआ होता है । पीछे झुककर किए जाने वाले आसनों से स्लिप डिस्क, सायटिका, स्पॉन्डिलाइटिस,मेरुदंड के रोग आदि को लाभ मिलता है।


आगे झुककर किए जाने वाले आसनों के लाभ--


        इस प्रकार के आसनों से उधर प्रदेश में संकुचन होता है। जिस कारण उससे अधिक दबाव पड़ता है। पीठ की कशेरुकाओं फैलती है और मांसपेशियां उदिप्त होती है। मेरुदंड की और रक्त संचार पर्याप्त मात्रा में होता है। जिससे वह अपने काम को सुव्यवस्थित रूप से करता है। 

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पादहस्तासन


        उदर प्रदेश में संकुचन और दबाव बढ़ने के कारण उदर प्रदेश के अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है जिस कारण पाचन तंत्र के रोग नष्ट होते हैं । वह गुर्दा, यकृत, अग्नाशय, आदि अंग मजबूत होकर निरोग रहते हैं।


मेरुदंड मोड़ कर किए जाने वाले आसनों के लाभ--


     मेरुदंड हमारे शरीर का स्तंभ है। मेरुदंड यदि स्वस्थ है तो हमारा शरीर वृक्ष के तने की तरह संगठित दिखेगा। इसको मोडकर किए जाने से हमारे भीतरी अंगों की अच्छी मालिश हो जाती है। मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है। मेरुदंड  अधिक लोचदार व लचीलापन हो जाती है।

योगासनों के लाभ के वैज्ञानिक कारण || Scientific reasons for the benefits of yoga.
मेरुदंड के आसन


       मेरुदंड को मोड़ कर किए जाने वाले आसनों से पाचन तंत्र के अंगों का व्यायाम हो जाता है।

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सिर के बल किए जाने वाले आसनों के लाभ--


       सिर के बल किए जाने वाले आसन से मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे शरीर को संपूर्ण पोषण मिलता है। पीयूष ग्रंथि की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। अतः हमारे सोचने समझने की शक्ति का अधिक विकास होता है। हमारे पूरे शरीर में रक्त संचार तीव्र हो जाता है जिस कारण हृदय प्रदेश सुव्यवस्थित होकर हमारे रक्त की शुद्धता को बढ़ाता है।

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शीर्षासन 


      उदर प्रदेश के भीतरी अंक पीठ आदि की कार्य पद्धति बेहतर ढंग से कार्य करने लगती है हमारे मानसिक रोग को झड़ते बाल हो चेहरे की सुंदरता हो या हम कह सकते हैं कि सिर कंधे के बल किए जाने वाले आसन कायाकल्प का काम करते हैं।

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