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Bhagavad Gita Jayanti 2021 - श्रीमद्भागवत गीता जयंती || श्रीमद्भागवत गीता जयंती क्यों बनाई जाती हैं?

              श्रीमद्भागवत गीता की जयंती


      लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व माघ शुक्ल एकादशी के मंगल प्रभात के समय कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर योगेश्वर श्रीकृष्ण के मुखारविंद से गीता का ज्ञान प्रवाह और संपूर्ण विश्व को जनता का अमूल्य ग्रंथ प्राप्त हुआ। तब से भारत के सांस्कृतिक इतिहास का वर्णन कर रहा है केवल भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व के व्यक्ति गीता जयंती का उत्सव मनाते हैं 


Bhagavad Gita Jayanti 2020 -  श्रीमद्भागवत गीता की जयंती ||  श्रीमद्भागवत गीता  जयंती क्यों बनाई जाती हैं?


 
        हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 25 दिसंबर 2020 को श्रीमद्भागवत गीता जयंती मनाई जाएगी। जिस समय भगवान श्री कृष्ण ने अपने सखा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था । तब मार्गशीर्ष शुल्क शुक्ल एकादशी थी। इसी दिन श्रीमद् भागवत गीता की उत्पत्ति के दिन को ही श्रीमद्भागवत गीता की जयंती के रूप में बनाया जाता है।

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     सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता की उत्पत्ति मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने की थी।  मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और देश में श्री भागवत गीता जयंती के रूप में बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
      इस दिन सभी लोग अपने घरों में भगवान श्री कृष्ण तथा श्रीमद्भागवत गीता की पूजा अर्चना तथा पाठ करते हैं। 
 श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय हैं । 

Bhagavad Gita Jayanti 2020 -  श्रीमद्भागवत गीता की जयंती ||  श्रीमद्भागवत गीता  जयंती क्यों बनाई जाती हैं?



       श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक और उपदेश आज भी उतने ही प्रसांगिक है जितने व कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत युद्ध के दौरान थे। जिस तरह से गीता के उपदेशों से अर्जुन को श्री कृष्ण ने सही रास्ता दिखाया था , ठीक आज भी उन् उपदेशों को पढ़कर मनुष्य को सही रास्ता मिल रहा है। इस मौके पर सभी लोगो को अपने घरों तथा मंदिरों में एक बार गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। क्योंकि गीता का पाठ करने से भटके हुए मनुष्य को रास्ता मिल जाता है, तथा वह ज्ञान कर्म आदि को समझ पाता है 

कैसे हुआ श्रीमद् भागवत गीता का जन्म


      जब महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन सामने खड़े विपक्षी दल में अपने रिश्तेदारों गुरुजनों तथा अपने भाइयों मामा चाचा आदि को देखकर भगवान श्री कृष्ण से कहने लगा कि मैं इन सब को नहीं मार सकता और इनसे युद्ध करने से अच्छा है मैं भीख मांग कर ही खाना पसंद करूंगा, तो अर्जुन जब इस अज्ञान में फंसे तो श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया। ताकि वह युद्ध के मैदान में अपने कर्तव्य और कर्म के बारे में जान सके।

भगवान श्री कृष्ण तथा अर्जुन के बीच हुए इस संवाद को ही श्रीमद्भागवत गीता कहा गया है


Bhagavad Gita Jayanti 2020 -  श्रीमद्भागवत गीता की जयंती ||  श्रीमद्भागवत गीता  जयंती क्यों बनाई जाती हैं?


कैसे बनाई जाती है श्रीमद्भागवत गीता जयंती


श्रीमद्भागवत गीता जयंती के अवसर पर घरों में तथा मंदिरों में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया जाता है कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं।

 श्रीमद्भागवत गीता का प्रथम श्लोक है 


धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे् समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥१॥

 गीता के 18 अध्याय हैं और 700 श्लोक हैं गीता का दूसरा नाम गीता उपनिषद  भी है । भगवत गीता के सभी 18 अध्याय के नाम है--


अध्याय १:  - कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
अध्याय २: साङ्ख्ययोगः - गीता का सार
अध्याय ३: कर्मयोगः - कर्मयोग
अध्याय ४: ज्ञानकर्मसंन्यासयोगः - दिव्य ज्ञान
अध्याय ५: कर्मसंन्यासयोगः - कर्मयोग-कृष्णभावनाभावित कर्म
अध्याय ६: आत्मसंयमयोगः - ध्यानयोग
अध्याय ७: ज्ञानविज्ञानयोगः - भगवद्ज्ञान
अध्याय ८: अक्षरब्रह्मयोगः - भगवत्प्राप्ति
अध्याय ९: राजविद्याराजगुह्ययोगः - परम गुह्य ज्ञान
अध्याय १०: विभूतियोगः - श्री भगवान् का ऐश्वर्य
अध्याय ११: विश्वरूपदर्शनयोगः - विराट रूप
अध्याय १२: भक्तियोगः - भक्तियोग
अध्याय १३: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगः - प्रकृति, पुरुष तथा चेतना
अध्याय १४: गुणत्रयविभागयोगः - प्रकृति के तीन गुण
अध्याय १५: पुरुषोत्तमयोगः - पुरुषोत्तम योग
अध्याय १६: दैवासुरसम्पद्विभागयोगः - दैवी तथा आसुरी स्वभाव
अध्याय १७: श्रद्धात्रयविभागयोगः - श्रद्धा के विभाग
अध्याय १८: मोक्षसंन्यासयोगः - उपसंहार-संन्यास की सिद्धि

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