पतंजलि की दिव्य मेधा वटी के फायदे और सेवन करने की विधि
पतंजलि की दिव्य मेधा वटी
- दोस्तों आज इस ब्लॉग में मैं आपको बताऊंगा पतंजलि दिव्य मेधा वटी के बारे में जो कि सिरदर्द, अनिंद्रा, चिड़चिड़ापन आदि के लिए बहुत ही लाभकारी है तो आइए जानते हैं दिव्य मेधा वटी के बारे में
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मेधा वटी |
दिव्य मेधा वटी में डालने वाले प्रमुख घटक-
➤ब्राह्मी , ➤ शंखपुष्पी वाचा, ➤ज्योतिषमति, ➤अश्वगंधा , ➤जटामांसी, ➤उस्टेखद्दुसे, ➤पुष्करमूल आदि का घन सत तथा ➤प्रवाल पिष्टी, ➤मुक्ता पिष्टी वह ➤चांदी की भस्म आदि।
मुख्य लाभ या फायदे -
- यह वटी स्मरणशक्ति की कमजोरी, सिर दर्द , निंद्रा निंद्रालप्ता, स्वभाव का चिड़चिड़ापन रहना, दौर आदि में लाभदायक हैं।
- स्वपन अधिक आना व निरंतर नकारात्मक विचारों के कारण अवसाद (डिटेंशन), घबराहट आदि इसके सेवन करने से दूर होते हैं, तथा आत्मविश्वास तथा उत्साह बढ़ता है।
- विद्यार्थियों तथा मानसिक कार्य करने वालों के लिए यह एक अत्यंत हितकारी है। प्रतिदिन सेवन करने योग्य एवं स्मृतिवर्धक उत्तम टॉनिक हैं।
- वृद्धावस्था में स्मृति कमजोर होना अर्थात सिमरन शक्ति का अभाव होना, किसी भी पदार्थ आदि को सहसा ही भूल जाना आदि में भी यह एक सफल व निरापद औषध हैं।
दिव्य मेधा वटी को सेवन करने की विधि तथा मात्रा --
- 1 से 2 गोली प्रातः खाली पेट दूध से या नाश्ते के बाद पानी से और सायंकाल खाना खाने के बाद पानी या दूध से सेवन करें।
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