मंत्र क्या है एक दृष्टि
मंत्र अक्षरों के संयोजन से निर्मित और संरचित है जो कि, जब सही ढंग से स्पष्ट उच्चारण होता है , सार्वभौमिक ऊर्जा को व्यक्ति के आध्यात्मिक ऊर्जा में केंद्रित करतें है । मंत्र का सार 'मूल शब्द ' या ' बीज ' कहलाता है और इसके द्वारा उत्पन्न शक्ति को "मंत्र शक्ति" कहा जाता है । प्रत्येक मूल शब्द एक विशेष ग्रह या ग्रह स्वामी से संबंधित है। मंत्र का उच्चारण "मंत्र योग" या "मंत्र जप " कहलाता है। मंत्र जप ध्वनि ऊर्जा, सांस और इन्द्रियों में समन्वय स्थापित करता है। मन्त्रों के उच्चारण से ध्वनि तरंगे उत्पन्न होती है, जो एक शक्तिशाली ऊर्जा है, और जीवन में मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर में बदलाव के लिए उपयोगी है।
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Mantra |
मंत्र का उपयोग:-
मन्त्रों की शक्ति उसके शब्दों में है। भक्ति और विश्वास के साथ मन्त्रों के नियमित जप से उस से सम्बन्धित देवताओं या ग्रह स्वामी की सकारात्मक और रचनात्मक ऊर्जा अपनी ओर आकर्षित होती है और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति में सहायता करता है। यह अपनी समस्याओं के समाधान हेतु एक दिव्य साधन है। यह आपको सार्वभौमिक कंपन ऊर्जा के साथ समकालीन करता है। मन्त्र अवचेतन मन को सजग करता है, सचेतक चेतना को जागृत करता है और अपने वांछित लक्ष्य या उद्देश्य की ओर आकर्षित करता है। शारीरिक स्तर पर , यह आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है, ग्रंथियों को सक्रिय बनाता है, रक्तचाप सामान्य करता है और शरीर में विभिन्न जीवन प्रणालियों को अनुरूप करता है। मन्त्रों के जप से चित्त में आत्मविश्वास और एकाग्रता की वृद्धि होती है।
मंत्र के लाभ :-
आपका जन्म चार्ट या कुंडली आपके अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार के ग्रहों को दिखाता है। फलस्वरूप, वे आपके जीवन के प्रासंगिक हिस्सों को अनुकूल या प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं; यह आपका स्वास्थ्य, करियर, रिश्ते इत्यादि हो सकता है। मंत्रों का उपयोग लाभकारी और हानिकारक दोनों ग्रहों के लिए किया जा सकता है। इन्हें लाभकारी ग्रह की ताकत बढ़ाने और हानिकारक ग्रहों के हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। मंत्रों के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे केवल सकारात्मक प्रभाव देते हैं। उनका उपयोग स्वास्थ्य, संपत्ति, भाग्य, सफलता में वृद्धि और आलस्य, बीमारियों और परेशानियों से दूर होने के लिए किया जा सकता है।
मंत्र जप कैसे करें :-
मंत्र की सफलता मंत्र के प्रकार, प्रयोजन और जप संख्या पर निर्भर करती है। मंत्रों का शुद्ध और स्पष्ट उच्चारण भी इसकी सफलता के लिए आवश्यक है। जब मंत्रों का उपयोग किसी विशेष ग्रह के तुष्टिकरण के लिए होता है, तो मंत्र का जप एक विशिष्ट संख्या में उस ग्रह या ग्रह स्वामी के आधार पर किया जाता है। मंत्र जप का प्रयोजन यह है कि इसके उच्चारण से आवश्यक ध्वनि तरंगों का उत्पादन होता है, जो संबंधित शक्तियों के सक्रिय करण के लिए उपयोगी है।।
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