रोग अनेक दवा एक , योगराज गुग्गुल के फायदे और सेवन विधि
Yograj Guggul Hindi me
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Yograj Guggul |
योगराज गुग्गुल क्या हैं ?( Yograj guggul kya hai?)
आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे योगराज गूगल के बारे में , आज हम जानेंगे कि योगराज गूगल के क्या फायदे हैं , जिसे सेवन करने की क्या विधि है तथा यह किन -किन रोगों में लाभकारी हैं। योगराज गूगल आयुर्वेदिक सभी कंपनियों की आती है जैसे कि पतंजलि की दिव्य फार्मेसी की, वैद्यनाथ, डाबर आदि आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा मार्केट में उपलब्ध कराई गई है। आइए जानते हैं योगराज गूगल के बारे में-
यह वात रोगों को खत्म करने वाली एक आयुर्वेदिक औषधि हैं | योगराज गुग्गुल वात रोगों के शमन के साथ साथ त्रिदोष को भी नियंत्रित करती हैं। जैसे- जोड़ो का दर्द, कुष्ठ रोग या किसी भी प्रकार का दर्द या मिर्गी रोग, लम्बे समय से हो रही कब्ज़ जैसी अनगिनत बिमारियों को यह औषधि खत्म करती हैं |
इसके अलावा यह औषधि पुरुषो और महिलाओं के जनानांगो में सुधार कर संतान की प्राप्ति कराती हैं | भगंदर, अर्श, प्रमेह, मूत्र का अधिक आना, मोटापा जैसी और भी कई समस्याओं में योगराज गुग्गुल लाभदायक हैं |
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योगराज गुग्गुल के मुख्य घटक :-
Yograj guggul ke ghatak dravy :-
Components of Yograj Guggul :-
- चित्रक
- पीपलामूल
- अजवायन
- कालाजीरा
- वायविडंग
- अजमोद
- जीरा
- देवदारु
- चव्य
- छोटी इलायची
- सैंधा नमक
- कूठ
- रास्ना
- गोखरू
- धनिया
- त्रिफला
- नागरमोथा
- सौंठ
- मिर्च
- पीपल
- दालचीनी
- खस
- यवक्षार
- तालीस पत्र
- तेजपत्रशुद्ध गुग्गुल
- घी
योगराज गुग्गुल बनाने की विधि
Yograj guggul banane ki vidhi :-
How to make Yograj Guggul :-
गुग्गुल तथा घी को छोड़कर बाकी सारी औषधियों का अच्छे से चूर्ण बना लें | अब गुग्गुल में थोडा थोडा घी और थोडा थोडा चूर्ण मिला कर कूटे। जब सारा चूर्ण गुग्गुल में अच्छी तरह से मिल जाये तब इनकी गोलियां बना कर सुखा लें ।
योगराज गुग्गुल के फायदे :-
Yograj guggul ke fayde :-
Benifit of Yograj Guggul :-
वातरक्त में (for gout)-
इसे गठिया रोग भी कहा जाता हैं | शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाने के कारण यह रोग उत्पन्न होता हैं । जोड़ो में दर्द होना, चुभन जैसा महसूस होना, सूजन होना और उन का लाल हो जाना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं |
योगराज गुग्गुल का सेवन इस रोग में किया जाये तो यह शरीर के भीतर जाकर यूरिक एसिड की मात्रा को कम करता हैं और साथ ही इससे होने वाले दर्द, सूजन और पीड़ा से भी लाभ दिलाती हैं ।
शूल में (for pain)-
यह योगराज गुग्गुल वात विकारो को मुख्य रूप से समाप्त करती हैं। इसलिए शरीर में हो रहे किसी भी प्रकार के दर्द में यह एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि हैं । यदि आपके शरीर में किसी प्रकार का दर्द बार- बार हो रहा हैं या लगातार होता रहता हैं तो इसका मुख्य कारण वात रोग ही हैं |
अपस्मार (मिर्गी) में-
अपस्मार मस्तिष्क से जुडी हुई समस्या हैं। इसके अलग - अलग प्रकार होते हैं । यह रोग वंशानुगत, सिर में चोट या अन्य कई कारणों से हो सकता हैं । मस्तिष्क से जुडी इस समस्या में कई बार व्यक्ति अपना नियंत्रण खो देता हैं, जिससे किसी दूसरी घटना होने का भय रहता हैं |
योगराज गुग्गुल का सेवन यदि इस रोग में किया जाये तो निश्चित रूप से व्यक्ति को आराम मिल सकता हैं | यह औषधि मस्तिष्क को बल और शान्ति प्रदान करती हैं |
कुष्ठ रोग में (for leprosy)-
आयुर्वेद में इस रोग को त्वचा रोग में रखा गया हैं। रक्त और शरीर में वायु विकार से होने वाला यह रोग त्वचा पर प्रभाव डालता हैं | कुष्ठ रोग कई प्रकार के होते हैं । कुष्ठ रोग में यदि इस औषधि का सेवन किया जाये तो इससे इस रोग का समापन किया जा सकता हैं ।
त्रिदोष को संतुलित करें( for tridosha balance)-
पित्त का कार्य पाचन करना हैं । यदि पाचन से जुडी कोई भी समस्या हो तो यह औषधि अच्छा काम करती हैं । इसी प्रकार कफ का कार्य शरीर में रस की क्रिया को बनाये रखना होता हैं | यदि इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत आये तो इसका इलाज योगराज गुग्गुल से किया जाता हैं ।
वीर्य विकार की समाप्ति-
वीर्य की कमी, वीर्य में शुक्राणुओं में कमी, वीर्य विकार के कारण संतान प्राप्ति का ना होना जैसी समस्याओं में योगराज गुग्गुल का प्रयोग करना चाहिए। यह औषधि वीर्य विकार को समाप्त कर संतान प्राप्ति में मददगार साबित होती हैं |
मासिकधर्म की विकृति-
महिलाओं में मासिक धर्म से जुडी समस्याओं का होना जैसे मासिक धर्म का ना आना, समय पर नही आना, अधिक बार आना या अधिक रक्त प्रवाह की समस्या को भी योगराज गुग्गुल समाप्त करता हैं। यदि इस विकार के कारण संतान प्राप्ति नही हो रही हो तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती हैं ।
अर्श रोग में (for piles)-
अर्श रोग को बवासीर या पाइल्स भी कहते हैं | यह रोग गुदा से जुड़ा हुआ हैं , जिसमे गुदा द्वार पर बादी वाले या खूनी मस्से हो सकते हैं। यह रोग मोटापे, कब्ज़ होने से और गर्भावास्था के दौरान अधिक होता हैं | योगराज गुग्गुल का सेवन करने से मोटापा और कब्ज़ की समाप्ति होती हैं जिससे इस रोग में आराम मिलता हैं |
कब्ज़ में (for constipation)-
योगराज गुग्गुल का सेवन पुरानी से पुरानी कब्ज़ को खत्म करने के लिए किया जाता हैं। कब्ज़ होना एक साधारण बात हैं, लेकिन जब यह स्थिति लगातार बनी रहे तो इससे अर्श, आमवात जैसे रोग होने की सम्भावना रहती हैं |
कृमियों का नाश करें-
व्यक्ति के पेट में कीड़े होने के कारण उसके द्वारा खाये गये भोजन को कीड़े खा जाते हैं। जिससे मनुष्य में पोषण की कमी होने लगती हैं | एलोपैथी की कृमिनाशक दवाइयां सामान्यतः जहरीली हुआ करती हैं। परन्तु यह औषधि बिना किसी विष के कीड़ो को खत्म करने की क्षमता रखती हैं |
अन्य रोगों में :-
Yograj Guggul in other diseases :-
- प्रमेह
- उदावर्त में
- भगंदर में
- खासी में
- रक्त विकार को समाप्त करें
- ह्रदय को मजबूत बनाये
- श्वसन रोग में
- लीवर के लिए
- एलर्जी में
- आमविष की समाप्ति
- मोटापा कम करें
- मूत्र की अधिकता में लाभदायक
- पांडू रोग में
योगराज गुग्गुल की सेवन विधि Yograj guggul ki sevan vidhi) :-
Yograj Guggul intake method :-
- वात रोगों में- रास्नादि क्वाथ के साथ
- पित्त रोगों में- काकोल्यादि क्वाथ के साथ
- कफ रोगों में- आरग्वादि क्वाथ के साथ
- प्रमेह रोगों में- दारुहल्दी क्वाथ के साथ
- पांडू रोग में- गो मूत्र के साथ
- मोटापे में- शहद के साथ
- कुष्ठ रोगों में- नीम क्वाथ के साथ
- वातरक्त में- गिलोय क्वाथ के साथ
- सूजन और दर्द में- पीपल के क्वाथ के साथउदर रोगों में- पुनर्नवादि क्वाथ के साथ 2 से 6 गोली का सेवन करना चाहिए |
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