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राष्ट्र और विश्व के कल्याण में एक संन्यासी की भूमिका ।। Role of a monk in the welfare of the nation and the world

 

राष्ट्र और विश्व के कल्याण में एक संन्यासी की भूमिका


एक सन्यासी की की इस पूरी समस्ती में शुभ के आदान आदान में राष्ट्रीय विश्व के कल्याण या मंगल में बहुत बड़ी भूमिका होती है ।


Role of a monk in the welfare of the nation and the world

     एक किसान की बहुत बड़ी उपयोगिता भूमिका या योगदान होता है, राष्ट्र की सेवा में वह अन्नदाता होता है। एक डॉक्टर या वैद्य जीवनदाता होता है,  एक इंजीनियर राष्ट्र का निर्माण , एक नेता राष्ट्र का शिल्पकार, एक कलाकार संगीतकार या अभिनेता आदि हजारों लाखों लोगों का मनोरंजन करने वाला, इसी प्रकार एक प्रशासनिक अधिकारी, न्यायधीश, पत्रकार , व्यापारी, उद्योगपति , वैज्ञानिक , गुरु - आचार्य या सैनिक आदि सब की की समाज, राष्ट्रीय, विश्व के लिए विभिन्न भूमिकाएं हैं। 

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     माता-पिता परिवार एवं ग्रस्थ धर्म की भी बहुत बड़ी भूमिका या उपयोगिता इस समष्टि के लिए हैं। यह सब इस समष्टि के बहुत ही महत्वपूर्ण व अपरिहार्य घटक हैं , लेकिन इस सब की तुलना में एक सन्यासी की भूमिका सर्वोपरि इसलिए सन्यासी की भूमिका सर्वोपरि इसलिए तुलना में एक सन्यासी की भूमिका सर्वोपरि इसलिए सन्यासी की भूमिका सर्वोपरि इसलिए है कि यदि एक महान आदर्श पूर्ण-विद्वान, धर्मात्मा , योगी , प्रतिभावान,  प्रतिभा,  प्रतिभावान, कुशल परम्परुषार्थी एवं परमार्थी करुणावान,  सन्यासी के जीवन का उसके अध्यात्मिक बल ओज या तेज का प्रभाव इस सब के जीवन पर होता है। 

       एक अच्छे सन्यासी से किसान , डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, अभिनेता से लेकर पूरा राष्ट्र व समग्र विश्व समग्र विश्व प्रेरणा व मार्गदर्शन पाता है। सन्यासी एक महान दिव्य विश्व नागरिक नागरिक विश्व नागरिक के रूप में इस पूरी सृष्टि में मानवता , नैतिकता, सात्विकता, तप, त्याग बलिदान, सादगी वह पूर्ण दिव्यता निष्काम था था दिव्यता निष्काम था था निस्वार्थ सेवा साधना संघर्षपूर्ण जीवन मुक्ति जीवन की पूर्ण सार्थकता व उपयोगिता का मूर्त रूप होता है।

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      एक सन्यासी जहां एक और अपने आध्यात्मिक चिंतन मनन और सर्वकल्याण की विचार शक्ति के द्वारा समस्त विश्व को वैचारिक रूप से सशक्त करता है , वही आत्मोत्थान समष्टि के उत्थान की यात्रा को तय करता हुआ लाखों करोड़ों लोगों की आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शक बनता है । एक सन्यासी के व्रत एवं संकल्प में इतनी शक्ति होती है कि वह अपना सर्वस्व आहुत करके भी सब का कल्याण करता रहता है। अपने अस्तित्व को समष्टि-गत करके निरंतर समस्त विश्व को अपना परिवार मानते हुए जीता है । उसके लिए जो कुछ भी आवश्यक हो उसे पूरा करने का हर संभव प्रयास करता है। 

    एक सच्चे सन्यासी जहां आध्यात्मिक उन्नति के शिखर पर आरूढ़ होकर अपने आध्यात्मिक ज्ञान और प्रकाश से प्राणीमात्र को अभय दान देता है । उन्हें उनके अन्दर की अनेकों दुर्बलताओं, को समाप्त करके पूर्णता को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है, वहीं दूसरी ओर उनके अभ्युदय के लिए भी यथासंभव प्रेरणा व मार्गदर्शन देता है ।

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