Gomutra - गोमूत्र के उपयोग तथा सेवन करने की विधि और फायदे
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Gomutra |
प्रथम प्रयोग --
गोमूत्र साधारण रोगों के साथ-साथ कैंसर, दमा, निष्क्रियता, जलोदर एवं यकृत शोध आदि अनेकों रोगों की निरापद औषध है । 10-15 मिली गोमूत्र का नियमित रूप से प्रतिदिन दो बार पीने से ऊपर सभी लिखे रोगों में शीघ्र लाभ होना प्रारंभ हो जाता है।
आधुनिक विश्लेषण के आधार पर गोमूत्र में नाइट्रोजन, फास्फेट, कैलशियम, मैग्निशियम, यूरिया, यूरिक अम्ल, पोटेशियम, सोडियम कार्बोलिक अम्ल, लेक्टोज एवं हार्मोन पाए जाते हैं जो सभी रोगों पर अपना -अपना प्रभाव दिखा कर रोगों को खत्म करने में सहयोग करते हैं।
गोमूत्र को यथासंभव ताजा ही 8 तह के कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए। तुरंत ब्यायी या जर्सी गाय का मूत्र प्रयोग नहीं करना चाहिए । बच्चा देने के 1-2 मांह के पश्चात ही गोमूत्र प्रयोग करना उचित है। प्रतिदिन ताजे गोमूत्र की अनुपलब्धता की अवस्था में गोमूत्र को छानकर शीशी में भरकर रख लें , जो मधुमेह रोगी नहीं है, वह इस गोमूत्र में मधु डालकर भी रख सकते हैं। इससे वह अधिक दिनों तक सुरक्षित रहेगा।
दूसरा प्रयोग--
गोमूत्र को तांबे के पात्र में लेकर उसको पका लें जब आधा से भी कम रह जाए तब छानकर शीशी में भरकर रख लें। 1-1 या 2-2 बूंद प्रातः एवं सायं आंख में डालने से आंखों के समस्त रोगों में लाभ पहुंचता है।
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