पतंजलि दिव्य हृदयामृत वटी
Patanjali Divya Hridayamrit Vati in Hindi
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Hridayamrit vati |
पतंजलि हृदयामृत वटी के मुख्य घटक (Main components of Patanjali Hridayamrit Vati )-
Patanjali Divya Hridayamrit Vati ke Ghatak Hindi me-
अर्जुन छाल (Arjun Bark)
अमृता (Amrita)
अश्वगन्धा (Ashwagandha)
रास्ना (Rasna)
निर्गुण्डी (Nirgundi)
पुनर्नवा (Reincarnation)
चित्रक (Painter)
नागरमोथा आदि का घनसत् ( एक्सट्रैक्ट )(Extract of nagaramotha etc.)
हीरक भस्म (Diamond ash)
अकीक पिष्टी ( Akiq pishti)
संगेयशव पिष्टी (Contagious pishti)
मुक्ता पिष्टी (Mukta pishti)
चाँदी भस्म (Silver incinerator)
शिलाजीत सत् (Shilajit satt)
शुद्ध गुग्गुलु आदि (Pure Guggulu etc.)
पतंजलि दिव्य हृदयामृत वटी के फायदे (Benefits of Patanjali Divya Hridayamrit Vati)-
Patanjali Divya Hridayamrit Vati ke Fayde Hindi me-
1. इसके सेवन से हृदय को ताकत मिलती है । इससे हृदय की धमनियों के अवरोध ( ब्लॉकेज ) दूर होते हैं । बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल का नियमन होता है ।
2. बार - बार उठने वाले हृदय शूल ( एजाइना ) में भी यह तुरन्त प्रभावकारी है ।
3. हृदय की कोशिकाओं को क्रियाशील बना देती है । बेचैनी , घबराहट को दूर कर हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाती है ।
4. यह हृदय के अन्दर आई हुई अवरुद्धता ( ब्लॉकेज ) को दूर करके हृदय को स्वस्थ रखने में अत्यन्त सहयोगी है ।
5. अगर आप अपने हृदय का operation करवा चुके हैं तो भी हृदय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी आप दिव्य हृदयामृत वटी का सेवन कर सकते हैं ।
पतंजलि दिव्य हृदयामृत वटी सेवन करने की विधि तथा मात्रा ( Patanjali Divya Hridayamrit vati method and quantity)-
1 से 2 गोली प्रातः व सायं दूध या गुनगुने पानी अथवा अर्जुन छाल के क्वाथ के साथ लें । अर्जुन छाल 2 से 3 ग्राम लेकर उसको एक कप दूध व एक कप पानी में पकाएं और जब 1 कप शेष रह जाय तब उसे छानकर पिये या अर्जुन क्वाथ ( काढ़ा ) पानी में पकाकर पिया जा सकता है ।
यदि आप हृदय के लिए एलोपेथिक औषध प्रयोग कर रहे हैं तो जैसे - जैसे Hridayamrit के सेवन से आपका हृदय स्वस्थ होता जाए तो वैसे - वैसे अंग्रेजी औषधियों को डॉक्टर के परामर्श से कम करते जाये ।
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