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इतना योग तो सबको करना चाहिए || Everyone should do this yoga

 इतना योग तो सबको करना चाहिए 


 Everyone should do this yoga


    बदलती जीवनशैली के कारण हम कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं । कोरोना से जो संक्रमित नहीं हुए हैं , उनके लिए भी खुद को स्वस्थ रखना चुनौती बना हुआ है । कौन सी यौगिक क्रियाएं हम सभी को रोज करनी चाहिए -


इतना योग तो सबको करना चाहिए || Everyone should do this yoga


      कोरोना के कारण बच्चे होयाबड़े , लंबे समय सेघरों में ही रह रहे हैं । हमारेखान - पान , काम करने का तरीका , उठने - बैठने का ढंग , पढ़ाई और आराम का समय , सब कुछ बदला है । जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं , जैसे - कब्ज , मोटापा , वेली फैट , गठिया , उच्च रक्तचाप , कमर दर्द , गर्दन दर्द आदि के मामले बढ़े हैं । भय , तनाव , एंग्जायटी , गुस्सा , ऊब , असुरक्षा की भावनाएं मन की सेहत पर बहुत बुरा असर डाल रही हैं । 

   योग का नियमित अभ्यास हमारी मानसिक सेहत , आत्मविश्वास तथा इच्छाशक्ति , तीनों पर असर डालता है । ये कुछ यौगिक क्रियाएं हैं , जो सभी के लिए फायदेमंद हैं ।


आसनः-

     मजबूत शरीर कई तरह से रोगों से बचाता है । शारीरिक रूपसे बहुत कमजोर महसूस कर रहे हैं , तो योग की सूक्ष्म क्रियाएं , मर्कट आसन और पवन मुक्तासन का अभ्यास दिन में दो बार आधा - आधा घंटे के लिए करें । ये सरल क्रियाएं हैं , जिन्हें बच्चे , बूढ़े और बीमार , सभी कर सकते हैं । साथ ही ताड़ासन , त्रिकोणासन , तिर्यक त्रिकोणासन , जानुशिरासन , उष्ट्रासन , सुप्त वज्रासन , अर्ध मत्स्येन्द्रासन , नौकासन , हलासन , सर्वांगासन , भुजंगासन और धनुरासन आदि से रोगों से बचाव भी होता है और शरीर का संतुलन भी बढ़ता है ।


सावधानीः 

     शुरुआत में शरीर पर बहुत जोर न डालें । धीरे - धीरे अभ्यास को बढ़ाएं ।


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अर्ध - मत्स्येंद्रासन की विधिः-

     चटाई पर दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठे सजगतापूर्वक पांचलम्बी और गहरी सांस लें और छोड़ें । इसके बाद बाएं पैर को घुटने से मोड़ कर इसके पंजे को दाएं नितम्ब के नीचे रखें । दाएं पैर को घुटने से इस प्रकार मोड़ें कि इसका पंजा बाएं पैर के घुटने के पास जमीन पर स्थित हो तथा घुटना ऊपरछाती की तरफ हो।अब बाएं हाथ को उठाकर उससे दाएं पैर को बाहर से लपेटते हुए हथेली को पंजे के पास ले जाएं । दाएं हाथ को पीठ के पीछे रखते हुए पूरी धड़ को दायीं तरफ अधिक से अधिक मोड़ें।जबतक रुक सकते हैं , रुके रहें।फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं । यह क्रिया दूसरी तरफ से भी करें । 


प्राणायामः-

     इसका अभ्यास अच्छी सेहत के साथ ताजगी , उत्साह तथा साहस का संचार करता है । इसके लिए योग की उदर - श्वसन क्रिया बहुत प्रभावी है । यह सांस लेने का सही और वैज्ञानिक तरीका है । इसे कभी भी उठते - बैठते , चलते फिरते , खाली पेट तथा भरे पेट , कभी भी किया जा सकता है । इसके लिए एक हल्की लंबी और धीमी श्वास अंदर लेकर पेट को हल्का - सा फुलाएं । हल्की तथा धीमी सांस बाहर निकलते हुए पेट को हल्का - सा पिचकाएं ।


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भ्रामरी प्राणायाम की विधि :-

      ध्यान के किसी भी आसन , जैसे - पद्मासन , सिद्धासन , सुखासन या कुर्सी पर सीधे बैठ जाएं । आंखों को ढीला बंद करक चेहरे को ढीला छोड़ दें । अब पांच लंबी और गहरी सांस लें और छोड़ें । दोनों हाथ के अंगूठों से कानों को हल्के से बंद कर एक लंबी और गहरी सांस लें । फिर मुंह बंद रखते हुए नाक या गले से ओम , माया म्मम की ध्वनि निकालें । यह भ्रामरी प्राणायाम की एक आवृत्ति है । पंद्रह से बीस बार ऐसा करें ।


     इसके अलावा किसी योग गुरु से सीख कर अनुलोम - विलोम ओर कपालभाति प्राणायाम , भस्त्रिका प्राणायाम , नाड़ी शोधन तथा भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास नियमित बीस से पच्चीस मिनट तक करें ।


योग निद्रा तथा ध्यान :-

     मन को नियमित और नियंत्रित करने के लिए ध्यान और योग निद्रा का अभ्यास करना चाहिए । इससे भावनात्मक मजबूती मिलती है और एंग्जाइटी में भी कमी आती है विधिः चटाई पर सीधा लेट जाएं । विशेष हालात में पीठ के या करवट में लेट सकते हैं । इसके बाद आंखों को ढीला बंद कर लें । ध्यान को दोनों आंख की भौंहों पर ले जाकर ढीला छोड़ दें । इसी तरह माथा , गाल , नाक , कान समेत हर अंग पर अपनी चेतना ले जाकर शरीर को ढीला छोड़ें । अब खुले सुंदर प्राकृतिक वातावरण की कल्पना करें । अपनी सांसों को देखें । अब वापस शरीर के पास लौटते हुए अंत में गहरी सांस लेकर बैठ जाएं।


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