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Yoga For Cervical- 4 योगासन सर्वाइकल से दिलाए छुटकारा

 

Yoga For Cervical- 4 योगासन सर्वाइकल से  दिलाए छुटकारा

    आज की इस पोस्ट में हम आपको ऐसे चार योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सर्वाइकल की समस्या से आपको छुटकारा दिलाने में बहुत ही मददगार साबित होंगे। युवाओं में सर्वाइकल की समस्या बहुत देखने को मिल रही हैं । इसलिए हम आपको ऐसे ही चार योगासनों के बारे में बताएंगे जो सर्वाइकल की बीमारी में बहुत ही लाभ देंगे। सर्वाइकल की अधिक समस्या हो तो आपको अपने नजदीकी चिकित्सक को दिखाना चाहिए व साथ ही अपने खान-पान तथा व्यायाम पर भी ध्यान देना चाहिए।


Yoga For Cervical- 4 योगासन सर्वाइकल से  दिलाए छुटकारा
Yoga For Cervical

मकरासन :-

विधि :- 

    सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाएं, क्योंकि मगरमच्छ का सिर हमेशा उठा हुआ दिखाई देता है। अतः वैसी ही आकृति बनाने के लिए अपने दोनों हाथों को कंधों के बराबर में जमीन पर टिकाते है। अब गर्दन व सिर को उठाये।  पूर्णाराम की दशा में आंखों को बंद करते हुए ऊर्जा के उधर मुखी होने की कल्पना करें।

लाभ:-

  • सर्वाइकल प्रॉब्लम, स्लिप डिस्क ,स्पोंडिलाइटिस में अधिक लाभकारी हैं।
  • गर्दन की समस्या तथा गर्दन की अन्य बीमारियों में लाभ करता है ।
  • शक्ति, स्फूर्ति, ताजगी एवं ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • कमर दर्द, मेरुदंड वाले रोगियों को विशेष लाभ देता है। सर्वांगासन, हलासन एवं विपत्ति करनी मुद्रा के बाद यह आसन अवश्य करें।


मत्स्यासन:-

मत्स्य का अर्थ मछली है । इस आसन की एक विशेषता यह है कि इसे लगाकर पानी के ऊपर घंटों लेट आ जा सकता है।  इसलिए इसे मत्स्यासन कहते हैं।

विधि :-

     जमीन पर शवासन की स्थिति में लेट जाएं। इस आसन की अब बाएं पैर को दाहिनी जांघ पर और दाहिने पैर की जांघ पर रखें। आपका विश्राम पद्मासन कहलाता है। अब धीरे-धीरे पीठ को ऊपर उठाएं। जिससे शरीर का वजन सिर एवं नित्यम पर पड़े । अब दोनों हाथों से दोनों पंजों के अंगूठे पकड़े इस स्थिति में आप काफी देर तक रह सकते हैं । परंतु शुरू में 8 से 10 सेकेंड ही करें। यह आसन सरल होते हुए भी काफी लाभदायक हैं।

लाभ:- 

  • यह आसन हृदय को बल देता है ।
  • श्वास संबंधी रोगों के लिए हितकर हैं ।
  • आलस्य दूर करता है।
  • मेरुदंड ,कमर दर्द ,पेट की मांसपेशियां मजबूत करता है।
  • सर्वाइकल स्पोंडिलाइटिस में बहुत आराम करता है।
  • थायराइड ग्रंथि को भी ठीक करता है।


सावधानी :-

    मेरुदंड व पीठ के दर्द के रोगी रोगी गर्भवती महिलाएं एवं हानियां के रोगी इस आसन को शारीरिक अवस्था का ध्यान रखकर क्रम पूर्वक करें।


भुजंगासन:-

  भुजंगासन का अर्थ सर्प होता है। इस आसन की आकृति फन उठाए हुए सांप की भाती होती हैं ।


विधि:-

     पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरों को तान कर रखें एवं तलवे ऊपर आसमान की तरफ रखें। चूंकि हाथों के सहारे सीधा ऊपर उठना है ।अतः हाथों को कंधों के समीप रखे और हथेलियों को जमीन पर। सिर और धड़ को साकार रूप से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। पूर्ण होने पर हाथों पर जोर दें । 


लाभ:-

  • पेट की चर्बी कम करता है ।
  • स्त्री रोगों में लाभकारी है।
  • थायराइड के लिए बहुत लाभदायक है।

सावधानियां:-  गर्भवती स्त्रियां ना करें ।


धनुरासन:-

धनुष के समान आकृति ।

विधि:-

     पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। घुटने से पैरों को मोड़ते हुए दोनों हाथों से दोनों पैरों की एड़ियों के पास पकड़े एवं सिर और सीने को भी ऊपर की ओर उठाएं । हाथों को सीधे रखते हुए पैरों की मांसपेशियों में तनाव पैदा करते हुए खींचे । इस प्रकार आगे पीछे होते हुए हल्का व्यायाम भी कर सकते हैं।

लाभ:- 

  •  पुराने कब्ज को दूर करता है।
  • पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
  • मोटापे को दूर करता है।
  • सर्वाइकल में विशेष लाभ देता है।

सावधानियां:- 

  • आंते, किडनी, अल्सर रोग वाले इस आसन को ना करें ।
  • यह आसन खाली पेट करें, क्योंकि सारा भार पेट पर ही पड़ता है।








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