त्रिफला के उपयोग तथा उसके फायदे || Triphala Churna
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Triphala churna |
त्रिफला क्या है?
हरड़, बहेड़ा तथा आमला के संभाग मिश्रण को Triphala कहते हैं त्रिफला को आयुर्वेद में रसायन माना गया है इसके विधि पूर्ण सेवन से रोगों का सामान तथा शरीर में बल की वृद्धि होती है।
त्रिफला के गुण--
- त्रिफला कफ, पित्त तथा कुष्ठ को हरने वाला दस्तावर नेत्रों को हितकारी अग्नि प्रदीप्त करने वाला रुचि वर्धक एवं विश्व ज्वरनाशक हैं।
- 2 से 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण में 125 मिली लोह भस्म मिलाकर प्रातः एवं सायं सेवन करने से बाल झड़ने बंद हो जाते हैं।
- एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात्रि में ठंडे पानी में भिगोकर रख दें तथा प्रातः उस जल से नेत्रों को धोने से नेत्रों के रोग मिट जाते हैं।
- पित्तजनित गुल्म में द्राक्षा एवं हरण का 1-2 चम्मच रस गुड़ मिलाकर पीना अथवा त्रिफला चूर्ण की 3-5 ग्राम मात्रा को खांड में मिलाकर दिन में तीन बार खाना चाहिए।
- त्रिफला, दाड़िम, राजादन यह सब वायुनाशक , मुत्रदोष को मिटाने वाले हैं । ह्रदय के लिए पिपासनाशक है एवं रुचि उत्पन्न करने वाले हैं।
- रात्रि में सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन गुनगुने जल के साथ सेवन करने से कब्ज मिटती हैं।
- त्रिफला का क्वाथ बनाकर 20 मिलीग्राम मात्रा में पीने से विषम ज्वर का समन होता है।
- आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को प्रातः, दोपहर व शाम जल के साथ सेवन करने से अम्लपित्त में लाभ होता है।
- एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को रात्रि में 200 मिली पानी में भिगोकर रखें । प्रातः गर्म करें आधा शेष रहने पर छान लें, इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें कुछ ही दिनों के सेवन से कई किलो वजन कम हो जाता है।
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