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Sciatica pain exercises - कैसे राहत पाएं साइटिका के दर्द से || How to get relief from sciatica pain

 Sciatica pain exercises


  कैसे राहत पाएं साइटिका के दर्द से


How to get relief from sciatica pain 


How to get relief from sciatica pain
sciatica pain


    आमतौर पर साइटिका का दर्द 25 से 45 वर्ष की उम्र वाले लोगों में होता है । हालांकि सूजन व दर्द को कम करने के लिए दी जाने वाली दवाओं और इंजेक्शन से आराम मिलता है , पर कई दूसरे वैकल्पिक तरीके भी हैं , जो बिना साइड इफेक्ट के प्रभावी असर करते हैं ।


     पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना साइटिका की समस्या कहलाती है । साइटिक तंत्रिका ( नर्व ) पीठ से नीचे की ओर कूल्हों से पैरों तक फैली हुई होती है । इसलिए पैरों पर भी इसका असर पड़ता है । यह दर्द आमतौरपर हर्नियेटेड डिस्कपर दबाव पड़ने के कारण होता है । इससे प्रभावित हिस्सों में सूजन औरदर्द होने लगता है । हर मरीज में दर्द और परेशानी की गंभीरता अलग होती है । इससे रोज के काम में भी परेशानी होती है । आमतौर पर डॉक्टर साइटिका कोठीक करने के लिए सूजन खत्म करने और मांशपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाएं देते हैं । कोर्टिकोस्टेरॉएड का इंजेक्शन भी दिया जाता है । पर , हालत गंभीर होने पर हर्नियेटेड डिस्क के एक हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है । पर , कई दूसरे तरीके भी हैं , जिनसे राहत पाई जा सकती है । फिजियोथेरेपी , एक्यूपंक्चर और योगको भी असरदार पाया गया है ।


     एक्यूपंक्चर-

        एक्यूपंक्चरएक पारंपरिक चीनी पद्धति है । इसके अनुसार एक विशेष बल या ऊर्जा शरीरके अंगों के बीच कुछमार्गों के माध्यम से घूमती रहती है । इन मार्गों में गड़बड़ी आने पर ऊर्जा का प्रवाह बाधित होने लगता है और समस्याएं होने लगती हैं । एक्यूपंक्चर में ऊर्जा और रक्त प्रवाह को ठीक करने के लिए प्रभावित स्थानों पर महीन सुइयों का इस्तेमाल करते हैं । एक्यूपंक्चर पॉइंट्स पर दबाव पड़ने पर सेंसरी रिसेप्टर्स उत्तेजित होकर हाइपोथैलेमस को न्यूरोट्रांसमीटर औरएंडोर्फिन हार्मोन सावित करने के लिए प्रेरित करते हैं । न्यूरोट्रांसमीटर औरएंडोर्फिन शरीर को प्राकृतिक रूप से दर्द से राहत दिलाने और रोग से उबरने की प्रक्रिया में मदद करते हैं ।


    फिजियोथेरेपी-

     फिजकल थेरेपिस्ट सबसे पहले मरीज की गहराई से जांच करते हैं । उसके बाद कई मशीनों की मददसे मरीजकोथेरेपी दी जाती है । फिजिकल थेरेपिस्ट , खास पॉइंट पर दबाव भी देते हैं । मसाज और व्यायाम के जरिये सॉफ्ट टिश्यू को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया जाता है । फिजियोथेरेपी से साइटिका के लक्षणों में राहत मिलती है । साथ ही बार - बार होने वाले दर्द में भी आराम मिलता है ।



    योग से भी होता है फायदा-

     यौगिक क्रियाओं का नियमित अभ्यास पीठ के निचले हिस्से को मजबूत करने और कूल्हे की मांसपेशियों को ढीला करने में मदद करता है । कुछ उपयोगी आसन इस प्रकार हैं 


    अर्द्ध हलासन : यह आसन हैमस्ट्रिंग को स्ट्रेच करने और साइटिका के दर्द को दूर करने में मदद करता है । इसे करने के लिए हम पीठ के बल लेटते हैं और घुटने को सीधा रखकर धीरे - धीरे एक पैर ऊपर उठाते हैं । कुछ समय के लिए पैर को हवा में रोकते हैं और फिर धीरे - धीरे नीचे लाते हुए गहरी सांस लेते हैं । एक पैर से करने के बाद इसे दूसरे पैर से किया जाता है । 


    अर्द्ध मत्स्येन्द्रासन : इससे पीठ के निचले हिस्से पर हल्का - सा खिंचाव आता है । यह कूल्हे की मांसपेशियों पर तनाव से राहत देते हुए रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों को फैलाने में मदद करता है । इस आसन में सबसे पहले जमीन पर बैठते हैं । फिर एक पैर को घुटने से उठाकर शरीर को एक एक करके हर तरफ मोड़ते हैं । जितना हो सके , आराम से अपनी पीठ को मोड़ें ।


    गोमुखासन : गाय के मुंह वाली यह मुद्रा , रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर दबाव डालती है । इसके लिए जमीन पर इस तरह बैठे कि घुटने एक - दूसरे पर टिके हों । अब पीठ के पीछे अपनी बांहों को फैलाएं । दोनों हाथों की उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें ।


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