Headache Problem Yoga
सिर दर्द से हैं परेसान, तो ये 5 योगासन दिलाएंगे आपको आराम
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Headache Problem Yoga |
आज की युवा पीढ़ी सिर दर्द की समस्या से बहुत ही ज्यादा परेशान हैं क्योंकि जब हमारे सिर में दर्द होने लगता है तो हमारा अन्य कामों से ध्यान हट जाता है , तथा सिर में भारीपन महसूस होने लगता है। जिससे कि किसी भी अन्य काम में हमारा मन नहीं लगता। आप उस समय सिर्फ यही सोचते हैं कि जल्द से जल्द सिर का दर्द ठीक हो जाए। सिर में दर्द होने की वजह से आंखों तथा गर्दन, कमर पर खिंचाव भी पड़ता है जो शरीर के लिए सही नहीं है।
ज्यादातर लोगों में देखा गया है कि सिर में जरा सा दर्द होने पर ही झट से दवाई खाने लगते हैं, जबकि दवाइयां आपकी सेहत के लिए हानिकारक होती है। आज से हमारे इस पोस्ट को पढ़कर आप सिर दर्द की दवाई खाना बंद कर देंगे तथा योगाभ्यास करना शुरू कर देंगे। इससे न सिर्फ हमारे सिर का दर्द दूर होगा बल्कि हमें स्वस्थ भी रखेगा।
तो आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही योगासनों के बारे में जो सिर दर्द के लिए बेहद लाभदायक है, लेकिन इससे पहले हम आपको यह बता दे कि सिर दर्द के लिए योग कैसे फायदेमंद है।
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योग सिरदर्द के लिए कैसे है फायदेमंद
सिर दर्द से निजात पाने के लिए योगाभ्यास बेहद अच्छा विकल्प माना गया है। योग इतना प्रभावशाली है कि हम इसकी मदद से अपने सिर दर्द को जल्द से जल्द ठीक कर सकते हैं। योग के द्वारा दिमाग शांत होता है तथा रक्त परिसंचरण को भी बढ़ावा मिलता है। सिर दर्द के लिए बेहतरीन प्राकृतिक बहुत ही उपाय हैं। जब हमारे सिर में दर्द , कंधे में दर्द, कमर तथा गर्दन में खिंचाव की वजह बन जाता है तो योग के द्वारा हम इन प्रॉब्लम्स से निजात पा सकते हैं। क्योंकि योग के द्वारा नसो के ब्लॉक खुलने लग जाते हैं। इसके साथ ही योग से रक्त प्रवाह बढ़ जाता है, तथा सिर तक ऑक्सीजन भी अच्छे से पहुंचने लगती हैं।
योग के द्वारा हमारे शरीर को शांति मिलती है जो की चिंताओं तथा तनाव होने की वजह से अशांत हो जाता है। जब एक बार आपका शरीर को आराम पहुंचेगा तो आपका सिर का दर्द ठीक हो जाएगा। योग द्वारा आंखें मस्तिक तक रक्त और ऑक्सीजन का परिसंचरण भरपूर मात्रा में होता रहता है । योग के द्वारा रक्त का प्रवाह मस्तिक की ओर जाता है तो यह आपके लिए बहुत ही फायदेमंद है।
सेतुबंधासन
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सेतुबंधासन |
सेतु का मतलब होता है पुल, सेतुबंध का मतलब है एक ऐसा आसन जिसमें आपकी आकृति उठे हुए पुल की तरह हो |
विधि:-
अपने आसन में शवासन अर्थात पीठ के बल लेट जाए। शरीर के बीच के भाग को सिर और पैरों के पंजों के बल उठाना है। सर्वप्रथम स्वास्थ्य एवं शरीर के प्रति सजग रहे। अब धीरे-धीरे शरीर के मध्य भाग को उठाएं। नए साधक अपने हाथों का सहारा ले सकते हैं। अपने हाथों को या तो सिर के पीछे ले जाएं और हाथों को बल देते हुए शरीर को उठाएं या फिर कमर और पीठ के भाग को आगे से उठाएं । पूर्ण अभ्यास हो जाने पर हाथों को नमस्कार की मुद्रा में ले आए या हाथों को पेट के ऊपर रखकर बांध ले या हाथों को जांघो के ऊपर रख ले। ध्यान रखें पांव का तलवा पूरा जमीन से चिपका रहे। पूर्ण आसन की अवस्था में सांस रोके वापस आते समय सांस छोड़ें।
सावधानी:-
योग शिक्षक की देखरेख में करें। उच्चरक्तचाप वाले रोगी ना करें एवं सिर के नीचे मोटा कंबल रखें।
पश्चिमोत्तानासन
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पश्चिमोत्तानासन |
जमीन पर बैठकर पैर सामने की तरफ लंबवत कर लें। श्वाश छोड़ें, अब सामने की तरफ झुकते हुए दोनों हाथों की उंगलियों से दोनों पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। पैरों को तान का रखें। घुटनों को ऊपर न उठने दे, और धीरे-धीरे सिर को भी घुटनों से मिलाने की कोशिश करें। अभ्यासक्रम जल्दबाजी में न करें पूर्व स्थिति में आते समय सांस लें।
सावधानियां:-
गर्भवती स्त्रियां, तीव्र कमर दर्द और साइटिका वाले रोगी यह आसन जबरदस्ती न करें।
अधोमुख श्वानासन
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अधोमुख श्वानासन |
इस स्थिति में शरीर का वजन दोनों हाथों पर स्थिर करते हुए दाएं पैर को सीधा करके पंजें को बाय पंजों के पास रखें। अब नितंबों को अधिक ऊपर की तरफ उठाएं एवं सिर को दोनों भुजाओं के बीच में लाएं। शरीर के नितंब वाले भाग को ऊपर उठाते हुए पैरों के पंजों को जमीन पर स्थापित करें। शरीर की अंतिम स्थिति में कमर तथा नितंब अधिक से अधिक ऊपर हो। पैरों के पंजे आपस में मिले हुए हो। नाभि की तरफ दृष्टि रखें।
मकरासन
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मकरासन |
यह आसन की स्थिति एक मगरमच्छ की तरह होती है। इसलिए इस आकृति के आसन को मकरासन कहते हैं।
विधि:-
सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। मगरमच्छ का सिर ऊपर उठा होता है। हमें कुछ ऐसे ही आकृति बनानी है। अपने दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिकाए। अब गर्दन में सिर को उठाते हुए हथेलियों से गालों एवं ठुड्डी को सहारा दे । पूर्व आराम की दशा में आंखों को बंद करते हुए ऊर्जा के उधर मुखी होने की कल्पना करें । सामान्य रूप से श्वास लें।
मार्जारी आसन
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मार्जारी आसन |
मार्जारी आसन का अर्थ होता है बिल्ली ।
सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं। अब घुटनों के बल खड़े होते हुए दोनों हाथों के पंजों को जमीन पर इस प्रकार रखें कि उंगलियां सामने की तरफ हो और हाथ की कोनी या सीधी हो पैरों की स्थिति चित्र अनुसार हो यह इस आसन को क्रियान्वित करने की तैयारी है।
तत्पश्चात स्वास लेते हुए मेरुदंड को नीचे झुकाते है जैसे किसी ने ऊपर से पीठ को हाथ से दबा दिया हो, और गर्दन को ऊपर की तरफ करें। अब ठीक इसके विपरीत सांस छोड़ते हुए मेरुदंड ऊपर ले जाए एवं गर्दन नीचे करते हुए ठुड्डी को छाती से स्पर्श कराएं । विशेष लाभ के लिए श्वाश छोड़ते हुए पेट को सिकोड़े अर्थात अंदर की तरफ खींचे। इस प्रकार यह एक आवर्ती हुई।
सावधानियां:-
मेरुदंड और कमर के तीव्र दर्द से पीड़ित व्यक्ति इस क्रिया को धीरे धीरे करें।
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