कब्ज़ और बवासीर होगी अब जड़ से खत्म करे इसका उपयोग
Abhayarishta Benefits in Hindi.
नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपसे बात करेंगे Abhayarishta Benefits in Hindi के बारे में , जोकि एक आयुर्वेदिक औषधि हैं। यह औषधि सभी आयुर्वेदिक कंपनियां द्वारा तैयार की जाती है। जैसे कि डाबर, वैद्यनाथ तथा पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा भी अभयारिष्ट बनाई जाती है। तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे अभयारिष्ट के बारे में , इसके फ़ायदे, मुख्य घटक तथा सावधानी के बारे में ।
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तो आइए जानते हैं अभयारिष्ट के बारे में संपूर्ण जानकारी-
अभयारिष्ट क्या है :-
Introduction of Abhayarishta :-
यह एक ऐसी आयुर्वेदिक होती है कि इसके असरदार गुण ही इसकी पहचान होती है इसके उपयोग से हम उन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं जो सामान्यतः होती रहती है।
जैसा कि कब्ज, पाचन से संबंधित समस्या, बवासीर, लियोन तथा आंतों से जुड़ी हुई समस्याओं में राहत देती है, और कुछ ऐसी समस्याएं भी होती हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज करते रहते हैं जैसे कि मलावरोध, उदर रोग इनके लिए अभयारिष्ट एक मददगार औषधि हैं।
अभयारिष्ट के मुख्य घटक :-
Contents of Abhayarishta :-
- अभया Abhaya
- मृदिका clay
- विडड़ग quirk
- मधुक कुसुम Madhuk Kusum
- जल water
- गुड़ Jaggery
- गोक्षुर gokshura
- त्रिवृत triangle
- धान्यक Grainy
- धातकी Metallic
- इंद्रवारुणी indravaruni
- चव्य Chavya
- मधुरिका Madhurika
- दन्ती danti
- मोचरस mocharas
4 अभयारिष्ट के फायदे :-
Benefits of Abhayarishta :-
वैसे तो अभयारिष्ट के कई फायदे हैं, जो हमारे दैनिक जीवन की समस्याओं में राहत देते हैं। नीचे हम देखते हैं अभयारिष्ट के कुछ मुख्य असरदार फायदे जो कि निम्न हैं-
- 🔭 Piles : पाइल्स पीड़ित ध्यान दें
1- बवासीर के लिये ( for piles ) :-
बवासीर होने के कुछ असाधारण कारण होते हैं जिनका पता होते हुए भी हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं जो कि हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए ।
ज्यादा तला हुआ और ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना खाना , शोंच सही से नहीं आना , फाइबर युक्त भोजन कम सेवन करना, ऐसे और कई बवासीर होने के कारण हो सकते हैं। जिन्हें हम नजरअंदाज करते रहते हैं । बवासीर की समस्या ज्यादा गंभीर नहीं होती है लेकिन हमारे नजर अंदाज करने से यह गंभीर समस्या बन जाते हैं। जिसके कारण जब मलमूत्र त्यागते समय दिक्कत आ जाती है। जैसे जलन होना, तेज दर्द होना आदि।
अभयारिष्ट एक ऐसी औषधि है जो बवासीर को जड़ से मिटा सकते हैं क्योंकि इसमें उपस्थित घटक बहुत ही फायदेमंद होते हैं जो इस समस्या को धीरे धीरे कम करते हैं इसका सेवन करने से जलन और तेज दर्द भी खत्म हो जाता है समय पर लेने से जल्दी असर करती है अगर आपको बवासीर है या बवासीर के लक्षण है तो आप इसका सेवन अवश्य करें आपको बहुत ही लाभ मिल सकता है।
अभयारिष्ट बवासीर को खत्म करने के लिए एक बहुत ही प्रभावशाली औषधि हैं। बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को अभयारिष्ट का सेवन जरूर करना चाहिए।
2- कब्ज के लिए ( for constipation) :-
कब्ज ऐसी समस्या है जो पेट साफ ना होने की वजह से होती है। कब्ज होने के कारण बार-बार शौच के लिए जाना पड़ता है। पेट सफा ना होने का कारण या तो हमारे खाने में कुछ कमियां या फिर कुछ चीज है जिसे हम नजरअंदाज कर देते हैं जैसा कि नीचे लिखा है-- समय पर भोजन न करना
- रात को देर से भोजन करना
- ज्यादा चटपटा खाना
- तरल पदार्थ कम लेना
- पानी का कम पीना
- भोजन ना पचने के बावजूद भी दोबारा भोजन करना
- किसी प्रकार के दर्द से आराम पाने के लिए एलोपैथिक दवाइयों का बिना चिकित्सक की सलाह के उपयोग करना।
3- पाचन में ( in digestion ) :-
हम जो भी खाना खाते हैं उसका पाचन हमारे पाचन तंत्र में ही होता है। अगर हमारा पाचन तंत्र सही नहीं है तो कब्ज की समस्या होने लगती हैं। अगर कब्ज की समस्या को हम लगातार नजरअंदाज करते रहते हैं, तो वह बवासीर में बदल जाती हैं। जिसके कारण हमारा पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है, और उस पर सूजन आना तथा दर्द का होना इसके लक्षण है। हमारे पाचन तंत्र को सही रखना यानी कि सही समय पर भोजन करना ही सबसे अच्छा तरीका है। जिससे हमारी पाचन क्रिया सक्षम बनी रहती है। अगर किसी को भोजन पचाने में समस्या आती है तो मालावरोध, मूत्र अवरोध जैसी समस्याएं का सामना करना पड़ता है।
ऐसी स्थिति से बचने के लिए हमें अभयारिष्ट का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इसका सेवन करने से मल मूत्र करते समय जो अवरोध की समस्या होती है यह उसे कम करने में सहायक है , क्योंकि अभयारिष्ट में उपस्थित ओषधियां हमारे पाचन तंत्र को सूजन से बचाती हैं और पेट के दर्द को खत्म करती हैं।
4- लीवर और आंत की समस्या ( liver and bowel problems ) :-
लीवर और आंत में होने वाली समस्या के कई कारण होते हैं । लेकिन इसमें से मुख्य कारण जो हमें देखने को मिलते हैं,। वह हैं , अधिक मदिरापान का सेवन करना तथा खुले में रखा भोजन सेवन करना। खुले में रखा हुआ भोजन जीवाणु और विषाणु युक्त हो जाता है जो हमारी लीवर तथा आंतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
अगर हमें आंत और लीवर की समस्या से छुटकारा पाना है तो इसके लिए अभयारिष्ट अति उपयोगी है, क्योंकि इसका सेवन करने से लीवर और आंत में उपस्थित विलक्षण खत्म हो जाते हैं। इसके उपयोग की जड़ी बूटियां जीवाणु या विषाणु को शरीर के अंदर ठहरने नहीं देती हैं यानी कि उन्हें मिटा देती है। जिससे हम इस समस्या में राहत पा सकते हैं।
अभयारिष्ट की सेवन विधि (Dose of Abhayarishta ):-
अभयारिष्ट का प्रयोग सुबह-शाम खाना खाने के आधे घंटे बाद करें या फिर डॉक्टर की सलाह से इसका उपयोग करें।
मुख्यता इसके सेवन करने की मात्रा 10 से 25 ML है जैसे भी आपके डॉक्टर सलाह दें।
नुकसान (Side Effectes Abhayarishta ): –
वैसे तो Abhayarishta का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है। आयुर्वेदिक की किसी भी दवा से नुकसान सिर्फ निम्न संभावित कारण हो सकते हैं-
नियमित रूप से सेवन करना- अधिक मात्रा में सेवन करना
- एक्सपायरी डेट का ध्यान ना देना (आयुर्वेदिक दवाइयों को कम से कम 10 वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है)
Note- यदि आपके मन में Abhayarishta को लेकर कोई प्रसन्न है तो आप नीचे दिए वह कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। इसका उत्तर आपको जल्द ही मिल जाएगा।
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1 टिप्पणियाँ
Mene abhayarista Li hai , mujhe bavasir hai kab tak thik hogi
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