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Liver disease - संभाले अपने बिगड़ते हुए लीवर की सेहत को || Handle the health of your deteriorating liver

 संभाले अपने बिगड़ते हुए लीवर की सेहत को

 Handle the health of your deteriorating liver

Liver disease in Hindi


    लीवर हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। लीवर खाना पचाने में मदद करता है तथा शरीर को विषैले तत्वों से छुटकारा दिलाता है और शरीर को ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करना लीवर के यह प्रमुख काम है। यह शरीर का एक इकलौता अंक है जो आसानी से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को बदल सकता है, पर ज्यादा क्षतिग्रस्त हो जाने पर भरपाई करनी मुश्किल हो जाती हैं। तो आज के इस ब्लॉग में हम आपको लीवर के बारे में पूरी जानकारी देंगे तथा इसे स्वस्थ रखने के लिए भी बहुत से टिप्स देंगे तो आइए आगे पढ़ते हैं--


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    लीवर के काम -

    लिवर हमारे पेट के दाएं तरफ ऊपरी हिस्से में और डायाफ्राम के नीचे स्थित रहता है। इसका वजन लगभग 1 किलो से ज्यादा होता है। यह हमारे शरीर की रासायनिक क्रियाओं में मदद करता है, जो की जीवित रहने के लिए जरूरी है। ऐसे ही लीवर के कुछ काम है-

    • लीवर नशीली दवाएं , अल्कोहल और वातावरण से शरीर में पहुंचने वाले जहरीले तत्वों को जमा करता रहता है। जहां से वह पेशाब व मल के रास्ते से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालता है।
    • रक्त में वसा अमीनो एसिड और ग्लूकोस जैसे तत्वों के स्तर को लीवर नियंत्रण में रखता है।
    • लिवर शरीर के लिए हार्मोन, एंजाइम और प्रोटीन बनाता रहता है । जिससे हम कई रोगों से बचे रहते हैं।
    • लिवर एल्ब्यूमिन के निर्माण में मदद करता है। जिससे क्षतिग्रस्त कोशिकाएं जल्दी ही ठीक होती हैं। जो शरीर में जरूरी रसायन बनाता है।


    लिवर से जुड़ी कुछ समस्याएं-

    हेपेटाइटिस-

    इसमें लीवर वायरस से संक्रमित होता है और उसके काम करने की क्षमता कम हो जाती है। यह लीवर के रोगों का दूसरा बड़ा कारण है। यह ए, बी, सी, डी और इ पांच प्रकार का होता है। हेपेटाइटिस 'ए' आमतौर पर दूषित खाना खाने तथा दूषित पानी पीने से फैलता है और इसे ठीक करने में कुछ हफ्तों का समय भी लग सकता है। हेपेटाइटिस 'बी' की बीमारी यौन संबंध असुरक्षित बनाने से फैलती है और मां से बच्चे को भी हो सकती हैं। हेपेटाइटिस ए और बी दोनों को वैक्सीनेशन से कंट्रोल किया जा सकता है। बच्चों को यह वैक्सीन 10 वर्ष से पहले लगवा देनी चाहिए। हेपेटाइटिस 'सी' आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के खून के संपर्क में आने से होता है या संक्रमित सुई से फैलता है। हेपेटाइटिस 'डी' हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने वालों में भी मैं ही होता है हेपेटाइटिस ई आम तौर पर दूषित पानी पीने से होता है और कुछ हफ्तों में यह ठीक भी हो जाता है।


    फैटी लीवर-

    लीवर की कोशिकाओं में फैट जमा होने लगता है तो उसे फैटी लीवर कहते हैं। कम मात्रा में वसा जमा होना सामान्य पर वसा 5 से 10 फ़ीसदी ज्यादा हो गई है तो लीवर को नुकसान पहुंचता है। इसमें अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज अत्यधिक शराब पीने की वजह से हो जाता है। शराब के अलावा कई दूसरे कारण भी हो सकते हैं । इस पर ध्यान नहीं देने से सोरायसिस या लीवर फेल होने की आशंका ज्यादा हो जाती हैं । आमतौर पर यह 50 से 60 की उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है ।


    पीलिया-

    पीलिया होने पर हमारी आंखों का सफेद हिस्सा और त्वचा पीली नजर आने लगती हैं। यह शरीर में बिलीरुबिन बढ़ने के कारण होता है। यह पीलिया एक रसायन होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। खून के जरिए बिलीरूबिन लीवर में पहुंच जाता है और वह गॉल ब्लैडर में बाइल से मिलकर पेशाब और मल के जरिए बाहर निकल जाता है। परंतु इसका उपचार जरूरी होता है। दूषित पानी के अलावा हेपिटाइटिस बी, सी वायरस और मलेरिया किसके कारण बनते हैं।


    कैंसर-

    लिवर का कैंसर दो तरह का पाया जाता है। प्राइमरी लीवर कैंसर, दूसरा सेकेंडरी लिवर कैंसर कहलाता है। प्रायमरी लिवर कैंसर सबसे पहले लीवर में विकसित हो जाता है। अगर किसी और अंग में कैंसर बढ़ते -बढ़ते लीवर तक पहुंच जाता है तो उसे सेकेंडरी लिवर कैंसर कहते हैं। लीवर में जो कैंसर होते हैं वह छोटे-छोटे हिस्सों या ट्यूमर के तौर पर बढ़ जाता है। जो मधुमेह का रोगी होता है उन्हें यह होने का खतरा ज्यादा होता है ।


    लीवर सिरोसिस-

    जब हमारे लीवर की कोशिकाएं सामान्य तौर पर क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो लीवर इसकी नई कोशिकाओं से भरपाई करता है। अधिक शराब पीने या लीवर के रोगों की वजह से ज्यादातर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस कारण हमारा लिवर सही से काम नहीं कर पाता है, तो इसके कारण लीवर सिरोसिस होने की आशंका होती है। लिवर सिरोसिस के इलाज में देर होने पर मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है।


    लीवर की सूजन-

    एंटीबायोटिक दवाई लेने से तथा कैंसर या ऑटोइम्यून डिजीज के इलाज के लिए ली जाने वाली दवाइयों के कारण कई बार हमारे लीवर में सूजन आ जाती है। खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने वाली दवाई अगर हम लेते हैं तो उनसे भी लीवर में सूजन आ जाती हैं। हमारे लिवर में सूजन आने के कारण हमारा शरीर फुला हुआ नजर आने लगता है लेकिन इसे कभी भी मोटापा समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।


    बाइल डक्ट बीमारी-

    हमारे लिवर में बनने वाला एक ऐसा द्रव्य है जो छोटी आंत में वसा को बचाने में मददगार होता है। बाइल डक्ट बीमारी होने पर बाइल छोटी आंत तक नहीं पहुंचता है। इससे खाद्य पदार्थ लंबे समय तक आंतो में ही रहते हैं तथा आंतों की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाते हैं।


    हेमोक्रोमेटोसिस-

    यह बीमारी एक अनुवांशिक बीमारी होती है। जिसमें शरीर भोजन से जरूरत से ज्यादा आयरन लेने लगता है। जो अन्य अंगों पर जमा होने लगती है। इससे सिरोसिस, लीवर कैंसर और लीवर फेल होने की संभावना ज्यादा हो जाती हैं।


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    लिवर के बीमार पड़ने के कारण-

    • हमारी गलत जीवनशैली तथा गलत खानपान
    • हेपेटाइटिस ए, बी, या सी का इंफेक्शन
    • हाई बीएमआई जिसमें टाइप-२ डायबिटीज और मोटापे का खतरा ज्यादा होता है
    • आनुवंशिक कारण
    • शराब का अत्यधिक सेवन
    • दूषित पानी पीना तथा दूषित खान -पान का सेवन।
    • साफ सफाई पर ध्यान नहीं देना


    इन लक्षणों को कभी नजरअंदाज ना करें-

    • बहुत जल्दी घाव हो जाने पर ज्यादा खून बहना
    • पेट में आई सूजन
    • असामान्य थकान वजन कम होना कमजोरी तथा बार-बार उल्टी जैसा महसूस होना
    • गहरे रंग का पेशाब आना तथा आंखों में पीलापन
    • मुंह से बदबू आना
    • आंखों के नीचे काले घेरे तथा त्वचा पर सफेद धब्बे पड़ना
        ज्यादा गंभीर हालत होने पर खून की उल्टी होना, काला मल तथा पेट में पानी भरना, शरीर में सूजन आना और दिमागी दिक्कतें आना जैसे कि रात में नींद कम आना, दिन में ज्यादा सोना, एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण नजर आने पर डॉक्टर को दिखाने में बिल्कुल भी देरी ना करें।


    सुधारे अपनी यह आदतें-

    • अपने कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने न दे, उस पर काबू रखें। यदि कोलेस्ट्रोल तथा फैटी लीवर की समस्या सामने आ रही है तो जंग फूड, रेड मीट और ज्यादा  वसा से परहेज करें। फाइबर वाली चीजें तथा हरी सब्जियां भरपूर खाएं।
    • शरीर आमतौर पर रात के 12:00 से 2:00 के बीच शरीर की भीतरी सफाई का काम करता है तथा जो रात में देर से सोते हैं या कम सोते हैं। उन में विषैले तत्वों की मात्रा अधिक बढ़ने लगती हैं।
    • जब भी पेशाब आए तो उसे बिल्कुल नया रोके। इसमें बेकार पदार्थ हमारे शरीर में देर तक रहते हैं वह संक्रमण की आशंका बढ़ाते हैं।
    • जब हम सुबह उठते हैं तो हमारे शरीर में ग्लूकोज की कमी होती है। इस समय हमें पर्याप्त ऊर्जा नाश्ता करने से ही मिलती है। जिससे शरीर के सभी हिस्से सही से अपना काम करते हैं इसलिए सुबह में  नाश्ता जरूर करें।
    • ज्यादा जंक फूड खाने से शरीर को क्या पोस्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। अत्यधिक नमक तथा चीनी ना खाएं। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हाई फाइबर वाली चीजों को डाइट में जरूर शामिल करें।


    इम्यूनिटी को बनाकर रखें मजबूत-

    बात चाहे करोना की हो या किसी अन्य दूसरी बीमारी की हो इम्यूनिटी सिस्टम को हमेशा मजबूत बना कर रखना चाहिए इसके लिए खाने में पौष्टिक भोजन का सेवन करें तथा नियमित व्यायाम जरूर करें । कोई भी दवा या फूड सप्लीमेंट किसी डॉक्टर की सलाह के बिना ना लें। तथा वजन को भी काबू में रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। अधिक अल्कोहल लेने से रसायनों का असंतुलन पैदा होता है। जिससे फैटी लीवर , सिरोसिस में हेपेटाइटिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।

    बच्चों के मोटापे को काबू करना है जरूरी-

    कभी-कभी ऐसा होता है अचानक ज्यादा वजन बने लगता है अगर ऐसा होता है तो हमें पीलिया होने पर लिवर की जांच जरूरी है। फैटी लीवर की समस्या होने पर शुगर, थायराइड के साथ-साथ लिवर फंक्शनिंग टेस्ट भी कराने चाहिए। जिससे बच्चों को शुरू से वजन ज्यादा होता है उनमें आगे चलकर लीवर की समस्याओं की आशंका अधिक होती हैं।



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