सेहत को चाहिए योग की खुराक
Health needs yoga supplements in Hindi
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Yoga |
कोरोना काल ने एक ऐसी थेरेपी की जरूरत पर जोर दिया है , जिससे न सिर्फ रोगों से बचाव हो बल्कि शरीर पर रोगों के असर को भी कम किया जा सके । फिर , जीवनशैली से जुड़ी कई समस्याओं में योग के दम को विज्ञान भी मानता है । विश्व योग दिवस ( 21 जून ) के अवसर पर विभिन्न रोगों में योग के असर पर विशेषज्ञों की राय के बारे में बता रहे है--
भारतीय परम्परा में योग का इतिहास करीब पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है । विभिन्न आसनों , ध्यान और प्राणायाम से सांस , मन और पॉस्चर से जुड़े अनेक रोगों का इलाज सफलतापूर्वक करने का उल्लेख मिलता है । योग की इन्हीं खूबियों के कारण दुनियाभर में योग की प्रिवेटिव थेरेपी के रूप में लोकप्रियता बढ़ रही है।
प्रिवेटिव थेरेपी का मुख्य कार्य कई तरह के संक्रमण या शारीरिक समस्याओं से निजात दिलाना होता है । इस थेरेपी का इस्तेमाल प्रारम्भिक स्तर के संक्रमण या किसी पुरानी बीमारी को और ज्यादा बढ़ने से रोकने में किया जाता है ।
योग संग जुड़ा विज्ञान Yoga science :-
विभिन्न शोध इस बात की पुष्टि करते हैं कि छोटी उम्र में आरम्भ की जाने वाली योग क्रियाएं बहुत सारे रोगों के संभावित खतरों को टालने में मददगार साबित होती हैं । जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्चद्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि तनाव से जुड़ी बीमारियों , जैसे- हाइपरटेंशन और दिल के रोगों में योग विशेष रूप से प्रभावशाली है ।
विशेषज्ञों के अनुसार , योग आसनों एवं क्रियाओं में जिन शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है , उनसे हमारे फेफड़ों , स्नायु तन्त्र और दिल की कार्यक्षमता तो बढ़ती ही है , साथ ही शरीर का लचीलापन भी बढ़ता है । इससे बहुत से रोगों को शुरुआत में काबू रखने में मदद मिल जाती है ।
यह सही है कुछ गंभीर रोगों का उपचार दवाओं से ही सही ढंग से किया जा सकता है , पर यह भी है कि दवाओं के साथ योग मुद्राएं किसी बीमारी को कहीं जल्दी ठीक करने में बहुत मदद करती हैं । विशेष रूप से सांस से जुड़ी समस्याएं , उच्च रक्तचाप , मधुमेह , जोड़ों के दर्द की समस्या और अनिद्रा जैसे रोगों में योग और आधुनिक दवाओं का समन्वय बेहद प्रभावशाली नतीजे देता है । ' नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय
आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) देश का पहला ऐसा अस्पताल है , जहां आधुनिक चिकित्सा के साथ साथ योग और आयुर्वेद ) द्वारा भी इलाज किया जाता है । साल 2016 में एम्स में सेंटर फॉर इंटीग्रेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च के तहत इसकी शुरुआत की गई थी । यह भी सुनिश्चित किया गया था कि देश के दूसरे संस्थानों में भी ऐसे सेंटर खोले जाएंगे ।
इन रोगों में प्रभावी है योग चिंता और तनाव , अनिद्रा की समस्या को बढ़ाते हैं । इससे धीरे - धीरे व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है । कई रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है । लेकिन नियमित रूप से योगाभ्यास द्वारा जीवनशैली से जुड़े विभिन्न रोगों में अच्छे प्रभाव देखे गए हैं । इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और स्टेमिना तथा मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं ।
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सांस जनित रोग respiratory disease :-
इन्हेलर , नेबुलाइजर और दवाएं जहां फेफड़ों में संक्रमण फैलने से रोकते हैं , वहीं फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए प्राणायाम , अनुलोम विलोम , नौकासन और डीप ब्रीदिंग व्यायाम द्वारा बहुत प्रभावशाली नतीजे मिल सकते हैं । इस ' पल्मोनरीफाइब्रोसिस , दमा या सीओपीडी जैसी बीमारियों में फेफड़ों में सूजन आने के साथ - साथ वे सिकुड़ने लगते हैं या उनमें छेद होने लगते हैं । ऐसा होने पर मरीज पूरी तरह ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाता , और ना ही कॉर्बन डाइऑक्साइड पूरी तरह बाहर निकाल पाता है । दवाएं तो जरूरी हैंही , डीप ब्रीदिंग के साथ जब यौगिक मुद्राओं का अभ्यास किया जाता है , तो मरीज को ज्यादा फायदा मिलता है । '
दिल की सेहत heart health :-
दिल पूरे शरीर में रक्त के माध्यम से पोषक तत्वों को पहुंचाने का कार्य करता है । पर , रक्तचाप बढ़ने पर दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है । ऐसे में योग से न केवल रक्तचाप को संतुलित रखा जा सकता है , बल्कि खराब कोलेस्ट्रोल को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है । पबमेड सेन्ट्रल पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार , नियमित योगाभ्यास बढ़ती उम्र में हदय की कम होती कार्यक्षमता को प्रभावित होने से भी रोकता है ।
तनाव सम्बंधी समस्या stress problem :-
Read- जब मन में हो निराशा तो क्या करें तो क्या करें ।
मेडलाइन द्वारा किए गए एक शोधों में पाया गया है कि डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में होने वाली बेचैनी और घबराहट में योग क्रियाएं इन रोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं । विशेष रूप से हठ योग और आयंगर योग का अच्छा प्रभाव सामने आता है । योग से तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कोर्टिसोल में कमी आती है और हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है । सुदर्शन क्रिया से भी तनाव में राहत मिलती है ।
पीठ का दर्द back pain :-
असंतुलित जीवनशैली और लंबे समय तक कम्प्यूटर पर बैठकर काम करने से कमर दर्द की शिकायत होने लगती है । ध्यान ना देने से सर्जरी तक की नौबत आसकती है । इस बारे में संकल्प शक्ति , योग विशेषज्ञ , बताती हैं , ' ताड़ासन , भुजंगासन , मर्कटासन और अधोमुख दंडासन जैसी मुद्राओं से कमर दर्द और गठिया में आराम मिलता है । ' दिअमेरिकन कॉलेज ऑफ रूमेटोलॉजी ( एसीआर ) इस समस्या में बिना दवाओं के व्यायाम द्वारा इलाज की पैरवी करता है ।
अनिद्रा Insomnia :-
सही ढंग से नींद ना आने की वजह से मोटापा , तनाव , उच्च रक्तचाप और डिप्रेशन जैसी समस्याएं युवाओं में विशेष रूप से देखने को मिल रही हैं । शोध कहते हैं कि तनाव से पीड़ित करीब 40% युवा हाइपरसोम्निया का शिकार हो जाते हैं , जबकि 10 % बुर्जुग इसकी चपेट में आ जाते हैं । आधी रात में जग जाना , सुबह बहुत जल्दी आंख खुल जाना और चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां होने लगती हैं । योग और ध्यान की मदद से नींद के चक्र को काफी हद तक सुधारा जा सकता है और दवाओं पर निर्भरता को भी कम किया जा सकता है ।
ध्यान दें-
• सूर्य नमस्कार , गोमुख आसन , मर्कटासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन शरीर के दाएं और बाएं , दोनों हिस्सों से करने चाहिए । हर आसन दोनों ओर से करना चाहिए ।
• बच्चों के लिए हलासन और सर्वांगासन विशेषरूप से लाभकारी हैं ।
• पेट की समस्याओं में पवनमुक्तासन से फायदा देता है । सर्वाइकल और स्पॉन्डेलाइटिस की समस्या में गोमुख आसन से आराम मिलता है ।
• अर्धमत्स्येन्द्रासन से पैंक्रियाज में इन्सुलिन बनने लगता है , मधुमेह पीड़ितों को इसे करना चाहिए ।
• खाली पेट व्यायाम करें । भोजन और योग अभ्यास में तीन घंटे का अंतर जरूर रखें ।
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Yoga changing with time |
समय के साथ बदलता योग :-
Yoga changing with time :-
अष्टांग योग Ashtanga Yoga :-
महर्षि पतंजलि द्वारा दिए गए नाम अष्टांगयोग से प्रचलित इस योग को सभी योग मुद्रा में प्रमुख माना गया है । वजन घटाने , पीठ के निचले हिस्से में दर्द , सिर दर्द में राहत पहुंचाने के साथ जोड़ों को मजबूत करने , रक्त संचार बढ़ाने और एकाग्रता बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है ।
कुंडलिनी योग Kundalini Yoga :-
जब ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी को जगाया जाता जाते हैं । इस पूरे क्रम है , तो हमारे शरीर के सातों चक्र सक्रिय को कुंडलिनी योग कहा जाता है , इसके अभ्यास से एकाग्रता बढ़ती है और मन को शान्ति मिलती है ।
पावर योगा Power Yoga :-
अष्टांग योग में शामिल पावर योगा आज बहुत लोकप्रिय है , क्योंकि इसमें किसी खास मुद्रा का पालन करने की बजाय अलग - 2 योग गुरु एवं फिटनेस एक्सपर्ट इसे अपने ढंग से तैयार करते हैं । शरीर का लचीलापन बढ़ाने के साथ मेटाबॉलिज्म तेज करने और मसल्स को मजबूत करने में यह काफी प्रभावशाली है ।
आयंगर योग Iyengar Yoga :-
इस योग में मौसम , व्यक्ति की उम्र और शारीरिक स्थिति के अनुसार योग करवाया जाता है । इसके तहत बेल्ट , कुर्सी और विभिन्न आकार के ब्लॉक्स की मदद से योग मुद्राएं कराई जाती है । सांस से जुड़े रोगों , उच्च रक्तचाप , तनाव , गर्दन और पीठ के दर्द तथा स्टेमिना बढ़ाने में आयंगर योग का अभ्यास विशेष रूप से फायदा देता है ।
हठ योग Hatha Yoga :-
योग की सबसे पुरानी पद्धतियों में से एक हठ योग व्यक्ति को तन और मन दोनों रूप से स्वस्थ एवं संयमित रखता है । इसके अभ्यास से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।
यिन योगा Yin Yoga :-
खिलाड़ियों के लिए विशेष फायदेमंद योग की यह पद्धति शरीर के विभिन्न अंगों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करती है । पर , इस पद्धति में प्राणायाम नहीं कराया जाता है ।
शिवानंद योग Sivananda Yoga :-
सूर्य नमस्कार और संतुलित आहार को केन्द्र में रख कर किए जाने वाले इस योग का मूल उद्देश्य सांसों पर नियंत्रण पाना होता है । बेहद सरल होने के कारण देश - विदेश में इसकी काफी लोकप्रियता है ।
बिहार स्कूल of योगा :-
यह योगाभ्यास हमारे शरीर की सुप्त और जागृत तरंगों के बीच तालमेल बिठाने का कार्य करता है , जिसमें शारीरिक और मानसिक एकाग्रता बढ़ाने पर जोर दिया जाता है ।
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